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हाईस्कूल की मार्कशीट में जन्मतिथि ‘ठीक’ कराने अब्दुल्ला आजम पहुंचे कोर्ट, सीबीएसई बोर्ड ने किया विरोध

हाईस्कूल की मार्कशीट में आयु में परिवर्तन करने की मांग को लेकर अब्दुल्ला आजम कोर्ट पहुंचे हैं. इसको लेकर उनकी ओर से एक वाद सिविल कोर्ट में दाखिल किया गया है.

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Published : Aug 16, 2023, 8:41 PM IST

लखनऊ : जन्मतिथि विवाद के चलते अपनी विधायकी गंवाने वाले आज़म खान के पुत्र मोहम्मद अब्दुल्ला आजम खान की ओर से उनकी हाईस्कूल की मार्कशीट में आयु में परिवर्तन करने की मांग को लेकर एक वाद सिविल कोर्ट में दाखिल किया गया है. उक्त वाद का सीबीएसई बोर्ड ने विरोध करते हुए, जवाब दाखिल किया है, साथ ही बोर्ड ने अब्दुल्ला आजम के वाद को निरस्त किए जाने की भी मांग की है. सिविल जज कमल कांत ने मामले में अग्रिम सुनवाई के लिए 15 सितंबर की तारीख़ तय की है.


इसके पहले सीबीएसई बोर्ड के रीजनल डायरेक्टर ललित कुमार कपिल की ओर से कोर्ट में जवाब दाखिल करते हुए कहा गया कि वर्ष 1990 की जन्मतिथि को लेकर लखनऊ नगर निगम द्वारा जारी किए गए प्रमाण पत्र को हाईकोर्ट ने अब्दुल्ला आज़म के ख़िलाफ़ दायर एक चुनाव याचिका का निस्तारण करते हुए, मानने से इंकार कर दिया था. साथ ही कोर्ट ने माना था कि उनकी यह जन्म तिथि हेरफेर करके दर्ज की गई है. कहा गया कि हाईकोर्ट के इस आदेश को अब्दुल्ला आज़म ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट से भी उनको कोई राहत नहीं मिली. यह भी दलील दी गई कि अब्दुल्ला आजम ने रामपुर के स्कूल से हाई स्कूल पास किया है, लिहाज़ा लखनऊ में मामला चलाने का कोई औचित्य नहीं है.

वहीं वाद दाखिल कर अब्दुल्ला आजम ने हाईस्कूल मार्कशीट में दर्ज जन्मतिथि को 1 जनवरी 1993 के स्थान पर 30 सितम्बर 1990 करने की मांग करते हुए कहा है कि उनके पिता आजम खान और मां तजीन फ़ातिमा का विवाह 1981 में हुआ और वह अपने मां-बाप के चौथे पुत्र हैं, दो बच्चों की मृत्यु क्रमशः 1982 व 1984 को हो गई थी, जबकि तीसरे पुत्र अदीब आज़म का जन्म 1985 को हुआ था, वहीं आजम खान के चौथे पुत्र के रूप में अब्दुल्ला का जन्म तत्कालीन क्वीन मेरी अस्पताल में 30 सितम्बर 1990 को होने की बात कही गई है. वादी का कहना है कि उसकी शुरुआती पढ़ाई से लेकर हाईस्कूल तक कि पढ़ाई रामपुर के सेंट पॉल स्कूल से हुई जहां गलती से उनकी जन्म तिथि एक जनवरी 1993 दर्ज हो गई, इसके बाद याची ने इंटरमीडिएट, बीटेक और एमटेक 2015 में किया, तब उन्हें पता चला कि याची की जन्म तिथि ग़लत दर्ज हो गई है.

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