लखनऊ : आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सभाजीत सिंह ने उत्तर प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में एक नियामक आयोग के गठन की आवश्यकता जताई है. रविवार को जारी बयान में उन्होंने कहा कि निजी स्कूलों द्वारा कोरोना काल मे ऑनलाइन पढ़ाई के एवज में भी पूरी फीस वसूले जाने को ले कर जनता में भारी आक्रोश है.
AAP प्रदेश अध्यक्ष सभाजीत सिंह ने कहा कि राजधानी लखनऊ सहित कई अन्य शहरों में कई निजी स्कूलों के बाहर अभिभावकों अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. लेकिन, योगी सरकार इस मामले में पूरी तरह खामोश है. उन्होंने अभिभावकों की मांगों का समर्थन करते हुए उनको वाजिब बताया है और योगी सरकार से ये मांग की कि वे कोरोना काल में आर्थिक रूप से टूट चुकी जनता को राहत देने के लिए प्रदेश के स्कूलों को तत्काल एक स्पष्ट आदेश जारी करें.
आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि स्कूलों द्वारा 2018-2019 सेशन के ब्रेकअप के आधार पर सिर्फ ट्यूशन फीस ही लेने के निर्देश दिए जाएं. अन्य मदों जैसे, बिल्डिंग, लाइब्रेरी, डेवलपमेंट, लैब, बिजली, स्विमिंग पूल, स्पोर्ट्स आदि मदों में पैसे न लिए जाने के स्पष्ट और सख्त निर्देश हों. कोरोना काल में रोजगार पर चोट लगने के बाद पूरा प्रदेश त्राहि त्राहि कर रहा है तो सरकार का ध्यान इस तरफ क्यों नहीं जा रहा और सरकार स्पष्ट आदेश जारी करके स्कूलों की मनमानी को क्यों नहीं रोकती.
AAP प्रदेश अध्यक्ष सभाजीत सिंह ने रोष जताते हुए कहा कि सरकार और कोर्ट के स्पष्ट आदेश हैं कि ऑनलाइन क्लास से किसी भी स्टूडेंट का नाम नहीं काटा जाएगा. उसके बाद भी स्कूलों ने मनमानी करते हुए हजारों बच्चों के नाम काट कर, उन्हें ऑनलाइन क्लास से वंचित कर दिया. उन्होंने सरकार से ऐसा करने वाले स्कूलों पर तत्काल सख्त कार्रवाई करने के आदेश देने की मांग की. सभाजीत सिंह ने कहा कि उन सभी बच्चों के शिक्षा के अधिकार को बहाल किया जाए, जिनके नाम स्कूलों ने काटे हैं.
सभाजीत सिंह ने कहा कि कोरोना काल मे अभिभावकों पर पहले ही दोहरी मार पड़ रही है, एक तो उनकी आय पर विपरीत असर पड़ा है, दूसरा घर मे बच्चों के पढ़ने से अन्य साधनों (इंटरनेट, कंप्यूटर, बिजली) के इंतजाम का अतिरिक्त बोझ भी उन्हीं पर आ गया है. ऐसे में स्कूलों की पूरी फीस का कोई औचित्य नहीं.