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AAP ने उठाया सदन में महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी का मुद्दा - लखनऊ का समाचार

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव सिर पर है. ऐसे में विधानसभा और लोकसभा में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण दिए जाने का मामला एक बार फिर मुद्दा बन रहा है.

सदन में महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी का मुद्दा
सदन में महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी का मुद्दा

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Published : Sep 30, 2021, 10:46 PM IST

लखनऊः आम आदमी पार्टी ने लखनऊ में महिला सम्मेलन का आयोजन किया. जिसमें उन्होंने लोकसभा, राज्यसभा के साथ-साथ विधानसभा में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण दिये जाने की मांग उठाई. हालांकि पार्टी ने न तो पहली लिस्ट में इसका पालन किया और न ही दूसरी लिस्ट में.

ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट के अनुसार भारत राजनीतिक सशक्तीकरण के मामले में अट्ठारहवें स्थान पर है. राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण की मांग उस समय ही शुरू हो गई थी, जब 73वें संविधान संशोधन के जरिए यह अनिवार्य कर दिया गया था कि ग्राम पंचायत के मुखिया के एक तिहाई पद महिलाओं के लिए आरक्षित होंगे. इसके बाद राजनीतिक दल महिलाओं को लोकसभा और विधानसभा में 33% आरक्षण दिए जाने की वकालत तो करते रहे. लेकिन किसी ने भी पहल नहीं की. सभी राजनीतिक दलों ने महिलाओं को आरक्षण देने का लाली पॉप जरूर दिखाया. 2017 के विधानसभा चुनाव में 41 महिलाएं जीतकर विधानसभा पहुंची थी. जबकि इसके पहले विधानसभा में महिला विधायकों की संख्या 35 थी. कांग्रेस की विधायक आराधना मिश्रा के पिता प्रमोद तिवारी प्रतापगढ़ जिले की रामपुर खास सीट से 9 बार विधायक रहे. इसी तरह फैजाबाद जिले की बीकापुर सीट से जीती शोभा सिंह चौहान के पति मुन्ना सिंह चौहान पूर्व मंत्री रहे.

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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में इस बार 6 करोड़ 74 लाख महिला मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. सामाजिक कार्यकर्ता मोनिका सक्सेना कहती हैं कि राजनीतिक में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए आरक्षण एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है. पैसे से शिक्षक प्रीति जैन का कहना है कि महिलाओं को राजनीतिक भागीदारी के लिए खुद पहल करनी होगी. जब वे आगे बढ़ेगी तो राजनीतिक दलों को आरक्षण देने के लिए भी मजबूर होना पड़ेगा.

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