लखनऊ: पिछले रेल बजट में केंद्र सरकार की तरफ से उत्तर रेलवे, पूर्वोत्तर रेलवे और उत्तर मध्य रेलवे को 15 हजार करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया था. इस बजट से इन तीनों मंडलों को यात्री सुविधाओं से जुड़ी सेवाओं, रेल की पटरियों में बढ़ोतरी, स्टेशन के सौंदर्यीकरण, नए स्टेशनों का निर्माण और विद्युतीकरण जैसे काम कराने थे. लेकिन, यह तीनों ही मंडल केंद्र सरकार की तरफ से दिए गए बजट में आधा बजट भी खर्च नहीं कर पाए और काम भी आधे अधूरे ही हो पाए हैं. फिर से रेल बजट आ रहा है, अब ऐसे में पहले से ही जिस बजट के पैसे से काम नहीं हो सका तो रेलवे को उत्तर प्रदेश में रेल से जुड़ी सुविधाओं के विकास के लिए शायद ही उम्मीद के मुताबिक बजट मिले.
बजट के पैसे से रेलवे ने नई परियोजनाओं के बजाय पुरानी योजनाओं को रफ्तार देने का फोकस किया. लखनऊ मंडल में अयोध्या होकर तीर्थयात्रियों के लिए हाईस्पीड ट्रेन चलाने की योजना पर काम किया. हाईस्पीड ट्रेन का ट्रायल ही हो पाया. बाराबंकी से अयोध्या होते हुए वाराणसी तक दोहरीकरण और इलेक्ट्रिफिकेशन का काम चल रहा है. इसके अलावा कानपुर रेलखंड पर सेमी हाईस्पीड ट्रेनों के संचालन के लिए पटरियों को अभी दुरुस्त ही किया जा रहा है. इस रूट पर इंटरलॉकिंग, सिग्नलिंग, पुलों के गर्डर बदलने सहित कई काम कराए जा रहे हैं. चारबाग रेलवे स्टेशन की सेकेंड एंट्री पर एफओबी बनाने के लिए एक करोड़ रुपये का बजट मिला. काम जारी है. इसके अलावा आलम नगर रेलवे स्टेशन सेटेलाइट स्टेशन बनाया जा रहा है. अभी काम पूरा नहीं हो पाया. जबकि, जनवरी में सेटेलाइट स्टेशन का उद्घाटन होना था. उतरेठिया, ट्रांसपोर्ट नगर रेलवे स्टेशनों पर काम चल ही रहा है. सदर की तरफ अभी गर्डर रखा ही जा रहा है.
इन प्रॉजेक्ट के लिए मिला था बजट
110 करोड़ उतरेटिया-रायबरेली के बीच डबलिंग के लिए, 20.70 करोड़ मल्हौर-डालीगंज डबलिंग व इलेक्ट्रिफिकेशन के लिए, 20 करोड़ चारबाग यार्ड रिमॉडलिंग और फोरलेन एंट्री-एग्जिट के लिए, 19 करोड़ लखनऊ कानपुर रूट के तीन स्टेशनों पर लूप लाइन के लिए, 15 करोड़ बाराबंकी-मल्हौर के बीच तीसरी और चौथी लाइन के लिए, 10 करोड़ आलमनगर-उतरेटिया बाईपास के लिए, 5 करोड़ ऐशबाग सेटेलाइट टर्मिनल स्टेशन के लिए, 5 करोड़ रेलवे समपारों पर चौकीदारों की तैनाती के लिए, 1.27 करोड़ मेमू ट्रेन के लिए प्लेटफॉर्मों की ऊंचाई बढ़ेगी, 1.27 करोड़ आलमनगर में गुड्स शेड के लिए, एक करोड़ चारबाग स्टेशन पर क्विक वॉटरिंग सिस्टम के लिए और 27.50 लाख रेलवे कॉलोनियों में नलकूप के लिए मिला था.