लखनऊ:इन दिनों उत्तर प्रदेश में हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की बोर्ड परीक्षा के साथ ही शादियों का दौर भी चल रहा है. शादियों में छात्रों को डीजे के शोर के चलते पढ़ाई में दिक्कत होती है. डीजे की तेज आवाज छात्रों के कानों में गूंजती है, जिससे उनका ध्यान भंग होता है. इसी को ध्यान में रखकर डायल 112 ने एक खास पहल की है. 112 की तरफ से एक अभियान '112 मिलाओ नॉइस पॉल्यूशन भगाओ' चलाया जा रहा है. छात्र 112 डायल कर अपनी शिकायत दर्ज करा रहे हैं और पुलिस उनकी मदद कर रही है. इसके तहत प्रदेश भर से अभी तक 9000 से ज्यादा शिकायतें आई हैं.
प्रदेश भर से आई 9 हजार से ज्यादा शिकायतें. बोर्ड परीक्षा के लिए पुलिस की '112 मिलाओ नॉइस पॉल्यूशन भगाओ' पहल
कमोबेश बोर्ड की परीक्षाएं और शादियों का मुहूर्त फरवरी से मार्च माह तक लगभग एक ही समय पर पड़ते हैं. ऐसे में शादी में तो लोग जमकर जश्न मनाते हैं, लेकिन जिन छात्रों पर परीक्षा में अच्छे अंक लाने का दबाव है. उनके लिए शादियों का जश्न और डीजे की तेज आवाज बड़ी बाधा पैदा करती है. छात्रों की इसी समस्या को देखते हुए यूपी पुलिस ने 15 फरवरी से 31 मार्च तक एक नए अभियान की शुरुआत की है.
इस अभियान को नाम दिया गया है '112 मिलाओ नॉइस पॉल्यूशन भगाओ'. छात्र इसका भरपूर फायदा भी ले रहे हैं. जिन छात्रों को अपने आस-पास ज्यादा शोर लग रहा है वे 112 नंबर डायल कर शिकायत दर्ज करा रहे हैं और पुलिस मौके पर पहुंचकर समाधान भी कर रही है. 15 फरवरी से 25 फरवरी तक के बीच शिकायतों की बात की जाए तो 9 हजार से ज्यादा शिकायतें प्रदेश भर से आई हैं.
लखनऊ से 800 से ज्यादा शिकायतें आईं
वहीं 800 से ज्यादा शिकायतें सिर्फ लखनऊ से ही 112 पर दर्ज कराई गई हैं. ज्यादातर शिकायतों का समाधान भी पुलिस द्वारा मौके पर पहुंचकर किया गया है, लेकिन 10 फीसद लोग पुलिस का भी कहना नहीं मान रहे हैं. ऐसे में इन लोगों को सबक सिखाने के लिए अब पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से संपर्क स्थापित कर यूपी पुलिस इन पर कार्रवाई करने की तैयारी कर रही है.
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एडीजी असीम अरुण ने बताया कि छात्रों के लिए जो अभियान शुरू किया गया है, वह काफी सफल हो रहा है. छात्र इसका लाभ ले रहे हैं. पुलिस उनकी समस्या का समाधान भी कर रही है. जो लोग नहीं मान रहे हैं, उनके खिलाफ भी एक्शन लिए जाने की तैयारी है. ज्यादातर शिकायतें हमारे पास सामाजिक कार्यक्रम जैसे इस समय शादी विवाह हो रहे हैं तो इसमें डीजे बजाने की शिकायतें होती हैं. कुछ शिकायतें फैक्ट्री से लगातार शोर होने, जनरेटर के शोर होने की होती हैं. दोनों एक ही कानून के तहत कवर होती हैं, जो ध्वनि प्रदूषण से सम्बंधित है. हमारा प्रयास होता है कि वहां पर पहुंचकर पीआरबी निर्देशित करे और अगर कंप्लायंस हो रहा है तो उसे डेटाबेस में सॉफ्टवेयर में एंट्री करके समाप्त कर दें. 90 प्रतिशत शिकायतों में ऐसा हो जा रहा है, लेकिन 10 प्रतिशत ऐसे केस हैं, जिनमें हमें दोबारा जाना पड़ रहा है.
अब हम प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड से इस बारे में बात कर रहे है, जिससे वह भी इसमें एक्शन ले सकें. बाद वाले केस थोड़े सीरियस किस्म के होते हैं, जिससे लोग परेशान हो रहे हैं. इसमें लीगल एक्शन में पुलिस को अधिकार है कि गिरफ्तारी कर सकें. जिस यंत्र से शोर मचा रहे हैं उस यंत्र को जब्त कर सकें और सजा इसमें न्यायालय द्वारा दी जाती है. इसमें एक लाख का जुर्माना और पांच साल की सजा या फिर दोनों हो सकते हैं.
-असीम अरुण, अपर पुलिस महानिदेशक, डायल 112