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Published : Jun 8, 2022, 5:20 PM IST

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लखनऊ विश्वविद्यालय में 50 देशों के 766 विदेशी विद्यार्थियों ने एडमिशन के लिए किया आवेदन

लखनऊ विश्वविद्यालय में प्रवेश के लिए लगभग 50 देशों से 766 विदेशी विद्यार्थियों के आवेदन आए हैं. इसमें सबसे अधिक आवेदन अफ्रीकी देशों और मैनजमेंट कोर्स के लिए हैं.

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लखनऊ विश्वविद्यालय में 50 देशों के 766 विदेशी विद्यार्थियों ने दिया आवेदन

लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय में आवेदन करने वाले विदेशी छात्रों की संख्या बढ़ी है. सत्र 2022-23 में 50 देशों के 766 विदेशी विद्यार्थियों के आवेदन आए हैं. इसमें सबसे ज्यादा आवेदन अफ्रीकी देशों से आए हैं. तुर्कमेनिस्तान, लिथुआनिया, पपुआ न्यू गिनी, कोमोरोस, उज्बेकिस्तान, त्रिनिदाद और टोबैगो, अंगोला, सिएरा लीओन जैसे देशों से पहली बार प्रवेश आवेदन मिले हैं.

वहीं, अभी तक सेल्फ फाइनेंस के पाठ्यक्रमों में विदेशी छात्रों की संख्या इकाइयों में रहती थी, जो कि इस बार बढ़कर 35 तक पंहुच गई है. अब तक आठ सौ से अधिक आवेदन आए हैं. लखनऊ विश्वविद्यालय (एलयू) में स्नातक में प्रवेश के लिए आवेदन की तिथि 20 जून तक कर दी गई है. लेकिन विदेशी छात्रों के प्रवेश भारतीय सांस्कृतिक सम्बद्ध परिषद (आईसीसीआर) के माध्यम से होते हैं और आईसीसीआर ने 31 मई को ही अपना पोर्टल बंद कर दिया है. हालांकि, विशेष परिस्थिति में अभी भी आवेदन किए जा सकते हैं. लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय ने बताया कि वह अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को विभिन्न सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं. उनके विकास के लिए हम सब निरंतर प्रयास कर रहे हैं.

एलयू में अंतराष्ट्रीय सहयोग के निदेशक प्रो. आरपी सिंह ने बताया कि प्रवेश के लिए आवेदन करने वाले विदेशी छात्रों की पहली पसंद मैनजमेंट कोर्स हैं. पिछले वर्ष लगभग छह सौ छात्रों के आवेदन आए थे और 300 छात्रों के आने की संभावना थी. लेकिन कोविड के कारण जुलाई अगस्त में उड़ानें बंद रहीं. जिसके चलते अधिकांश विद्यार्थी नहीं आ पाये थे.

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डीएलएड कॉलेजों ने कदम पीछे खींचे, प्रवेश से इनकार
वहीं, इस वर्ष एक दर्जन डीएलएड (पुराना नाम बीटीसी) कॉलेजों ने प्रवेश लेने से इनकार कर दिया है. कॉलेजों ने परीक्षा नियामक प्राधिकारी को पत्र लिख कर कहा है कि उन्हें विद्यार्थी आवंटित न किए जाएं. बता दें कि पिछले तीन-चार वर्षों से यूपी में डीएलएड की सीटें खाली हैं. प्रदेश में डीएलएड की 2.50 लाख सीटें हैं लेकिन पिछले वर्ष भी 50 फीसदी सीटें खाली रह गई थीं. अब डीएलएड कॉलेज विद्यार्थियों के लिए तरस रहे हैं. वर्ष 2009 में आरटीई कानून लागू होने के बाद कक्षा एक से पांच तक में केवल बीटीसी वालों को ही मान्यता दी गई थी. 2011 में जब यह कानून लागू हुआ तो प्रदेश में केवल 10,600 सीटें ही बीटीसी की थी और निजी कॉलेजों की संख्या 65 से 70 थी. धीरे-धीरे निजी कॉलेजों ने भी डीएलएड को जोड़ा. बीते 10 सालों में 3100 कॉलेज खुल चुके हैं.

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