लखनऊ:जन औषधि परियोजना के तहत देशवासियों को न केवल सस्ती दवाई मिल रही हैं, बल्कि इसके साथ-साथ युवाओं को आय के साधन भी मिल रहे हैं. जन औषधि केंद्रों का प्रचार-प्रसार ज्यादा हो सके, इसके लिए इसका इंसेंटिव ढाई लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया गया है. इसके अलावा दलितों, महिलाओं, आदिवासियों और पूर्वोत्तर के लिए 2 लाख रुपये का इंसेंटिव अलग से दिया जा रहा है. यह पैसा जन औषधि स्टोर बनाने एवं उसके लिए फर्नीचर लाने में उनकी मदद करेगा. यह बातें बतौर मुख्य अतिथि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को आयोजित 2021 जन औषधि दिवस के मौके पर ऑनलाइन कार्यक्रम के दौरान कहीं.
शिलांग में हुआ 75वें केंद्र का लोकार्पण
जन औषधि दिवस के मौके पर 75वें केंद्र का लोकार्पण शिलांग में किया गया. वर्तमान में 7500 जन औषधि केंद्र हैं. इस दौरान राजधानी के जन औषधि केंद्र से भी लोग इस ऑनलाइन कार्यक्रम में शामिल हुए. उन्होंने कहा कि जन औषधि परियोजना से लोगों को दवाइयां खरीदने में आसानी हो रही है. खासकर जिन्हें डायबिटीज, कैंसर जैसी बीमारियां हैं, जिनकी दवाएं प्राइवेट मेडिकल स्टोर पर 5 से 10 हजार रुपये में मिलती महीने हैं, वही दवाएं जन औषधि केंद्र पर हजार रुपये के अंदर ही मरीजों को मिलती हैं. जन औषधि केंद्र में हमारी बहन-बेटियों को सिर्फ ढाई रुपये में सेनेटरी नैपकिन उपलब्ध कराए जा रहे हैं. इससे उनके स्वास्थ्य और मानसिकता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. अब तक एक करोड़ से ज्यादा सेनेटरी नैपकिन इन केंद्रों पर बिक चुके हैं. इसी तरह जनऔषधि जननी अभियान के तहत जरूरी पोषण और सप्लीमेंट जन औषधि केंद्र पर उपलब्ध कराए जा रहे हैं, इतना ही नहीं 1000 जन औषधि केंद्र ऐसे हैं जिन्हें महिलाएं ही संचालित कर रही हैं, यानी कि जन औषधि योजना बेटियों के हाथ निर्भरता को भी जन्म दे रही है. इस योजना से पहाड़ी, नॉर्थ ईस्ट और जनजाति क्षेत्रों में रहने वाले सभी देशवासियों को सस्ती दरों पर दवाएं मिल रही हैं.