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69 हजार शिक्षक भर्ती में आरक्षण घोटाला, अभ्यर्थियों ने मांगी इच्छा मृत्यु - 69 हजार शिक्षक भर्ती में आरक्षण घोटाला

उत्तर प्रदेश का बेसिक शिक्षा विभाग लगातार सुर्खियों में है. विभाग पर 69 हजार शिक्षक भर्ती में घोटाला करने के आरोप लग रहे हैं. खास बात यह है कि राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने खुद इस प्रकरण ने बड़े पैमाने पर धांधली की बात स्वीकार की है. वहीं कुछ अभ्यर्थियों ने राज्यपाल और राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु की मांग की है.

69 हजार शिक्षक भर्ती में आरक्षण घोटाले का मामला.
69 हजार शिक्षक भर्ती में आरक्षण घोटाले का मामला.

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Published : Jun 6, 2021, 2:11 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में 69 हजार शिक्षक भर्ती में शामिल हुए कुछ अभ्यर्थियों ने राष्ट्रपति और राज्यपाल को पत्र लिख इच्छा मृत्यु की मांग की है. इनकी शिकायत है कि इस भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण के नियमों की अनदेखी की गई. खुद राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने अपनी रिपोर्ट में इसका खुलासा किया है. बावजूद इस पर काम करने के प्रदेश सरकार इस रिपोर्ट की अनदेखी करने में लगी हुई है. इन अभ्यर्थियों का कहना है कि आरक्षण घोटाले से दुखी होकर राष्ट्रपति और राज्यपाल को इच्छा मृत्यु का पत्र लिखा है. ईमेल के माध्यम से इन्हें भेजा गया है. पत्र लिखने वाले 55 अभ्यर्थियों में 14 महिलाएं भी शामिल हैं.

69 हजार शिक्षक भर्ती में आरक्षण घोटाले का मामला.

2019 में शुरू हुई थी भर्ती प्रक्रिया
उत्तर प्रदेश में वर्ष 2019 में 69,000 शिक्षक पदों पर भर्ती की प्रक्रिया शुरू की गई थी. इस प्रक्रिया में आरक्षण के नियमों का पालन न किए जाने के आरोप लगाए गए हैं. शिकायत के मुताबिक यह भर्ती उत्तर प्रदेश बेसिक एजुकेशन टीचर्स सर्विस रूल 1981 के अनुसार की जानी थी. भर्ती प्रक्रिया के तहत 6 जनवरी 2019 को परीक्षा कराई गई और 1 मई 2020 को अंतिम चयन सूची जारी की गई. शिकायतकर्ता के मुताबिक इसमें आरक्षित वर्ग के लिए आवंटित सीटें अनारक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को दे दी गईं. इसकी शिकायत पिछड़ा वर्ग आयोग में की गई है.

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5844 पदों को लेकर है विवाद
अभ्यर्थियों का कहना है कि राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट में निकाला है 5,844 सीटों पर आरक्षण के नियमों की अनदेखी की गई है. ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों को 27% आरक्षण का लाभ नहीं दिया गया. इसी तरह से एससी वर्ग के अभ्यर्थियों को भी 21% आरक्षण का लाभ नहीं मिला है. 29 अप्रैल को राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने सरकार से इस पर जवाब मांगा था. सरकार ने एक महीने से ज्यादा का समय बीत जाने के बावजूद भी अभी तक आयोग को कोई जवाब नहीं भेजा है, जिसके बाद अभ्यर्थियों की तरफ से इच्छा मृत्यु की मांग की गई है.

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