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तनाव की वजह से बच्चों में बढ़ रही बीमारियां, समय पर ध्यान देना जरूरी- बाल रोग विशेषज्ञ - kgmu pediatrics department

उत्तर प्रदेश के लखनऊ में किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के पीडियाट्रिक्स विभाग के 66 साल पूरे होने पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में कई डॉक्टरों ने भी शिरकत की और बच्चों की बीमारी के बारे में बताया.

केजीएमयू पीडियाट्रिक विभाग का 66 वां स्थापना दिवस.

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Published : Nov 17, 2019, 9:33 AM IST

लखनऊ: किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के पीडियाट्रिक्स विभाग को शनिवार को 66 वर्ष पूरे हो गए. इस उपलक्ष्य पर विभाग में स्थापना दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें न केवल कई बाल रोग विशेषज्ञ बल्कि पीडियाट्रिक्स विभाग से ही पढ़े हुए तमाम एलुमनाई डॉक्टर भी आए. अतिथि के रुप में पधारे बाल रोग विशेषज्ञ ने बच्चों में होने वाली कुछ गंभीर लेकिन पता न चल पाने वाली बीमारियों के बारे में विभाग के डॉक्टरों को जानकारी दी.

केजीएमयू पीडियाट्रिक विभाग का 66 वां स्थापना दिवस.

जानिए डॉक्टर शैली अवस्थी ने क्या बताया

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के पीडियाट्रिक्स विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ शैली अवस्थी ने कहा कि हमें बेहद गर्व है कि हम पीडियाट्रिक्स विभाग के 66 वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं. हमारे विभाग में कार्यरत सभी शिक्षकों, सीनियर रेजिडेंट, जूनियर रेजिडेंट, नर्स और अन्य कर्मचारियों का योगदान महत्वपूर्ण रहा है. हमारे इस आयोजन की सबसे खास बात यह रही है कि इस बार हमने लंबे समय तक अस्पताल में रहने वाले बच्चों के लिए प्ले एरिया बनाया है, जो कि विभाग में ही उपस्थित है. इसका शनिवार को उद्घाटन भी किया गया है. यह प्ले एरिया बाल विभाग के वंचित, असहाय और सभी वर्ग से आए रोगी बच्चों की शारीरिक और मानसिक जरूरतों के लिए बनाया गया है, ताकि उन्हें अस्पताल आकर भी कुछ अपनापन महसूस हो.

मेजर जनरल माधुरी कानिटकर ने मुख्य अतिथि के रुप में की शिरकत

स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित किए गए कार्यक्रम की मुख्य अतिथि नॉर्दर्न कमांड हॉस्पिटल उधमपुर की मेजर जनरल माधुरी कानिटकर रहीं. वहीं विशिष्ट अतिथि के रूप में इंक्लेन ट्रस्ट इंटरनेशनल नई दिल्ली के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर प्रोफेसर नरेंद्र कुमार अरोरा और वसुंधरा कुमारी रहीं. इस अवसर पर मेजर जनरल माधुरी कानिटकर ने वॉइडिंग डिसऑर्डर्स इन चिल्ड्रन विषय पर व्याख्यान दिया. उन्होंने बताया कि बच्चों में तमाम ऐसी भी परेशानियां होती हैं, जिससे उन्हें मल मूत्र विसर्जन में काफी परेशानी आती है. डॉक्टर ने बताया कि कभी-कभी यह परेशानियां पता चल जाती हैं, लेकिन बदलते परिवेश में यह परेशानियां कुछ अन्य एनवायरमेंटल फैक्टर्स पर आधारित होती हैं.

खास बात यह है कि समय के साथ यह समस्या बच्चों में बढ़ती हुई पाई जा रही है. छोटे-छोटे बच्चों को सुबह जल्दी ही उठा दिया जाता है और उन्हें जल्दी तैयार कर स्कूल भेज दिया जाता है. इस क्रम में वह ठीक ढंग से मल-मूत्र विसर्जन नहीं कर पाते हैं और यह शारीरिक तौर पर उन्हें कहीं न कहीं डैमेज करता है. इस बात को ध्यान देना जरूरी है कि बच्चों की समस्या को किसी तरह नजरअंदाज न किया जाए.

मेजर जनरल माधुरी कहती है कि आमतौर पर बच्चों के मानसिक रूप से सामान्य रहने पर 5 से 7 वर्ष तक की आयु में बच्चे के अंदर मल मूत्र विसर्जन करने की सही क्षमता पैदा हो जाती है, लेकिन यदि इसके बावजूद बच्चा बिस्तर गीला करता है या फिर स्कूल के समय पर टॉयलेट जाने में कतराता है, तो इसको हल्के में नहीं लेना चाहिए.

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