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अंतिम चरण के बाद पॉलीटेक्निक संस्थानों में 65% सीटें खाली, स्पेशल काउंसिलिंग की शासन से मांगी अनुमति

यूपी के पॉलीटेक्निक संस्थानों मौजूदा समय में जो हालात हैं, वह काफी चिंताजनक हैं. करीब आठ राउंड की कॉउंसिलिंग होने के बाद भी 65 प्रतिशत से अधिक सीटें खाली हैं. अगर यही हालत रहे तो अगले कुछ वर्षों में कई कॉलेजों के बंद होने की नौबत आ जाएगी.

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Published : Nov 1, 2022, 2:25 PM IST

लखनऊ : यूपी के पॉलीटेक्निक संस्थानों मौजूदा समय में जो हालात हैं, वह काफी चिंताजनक हैं. करीब आठ राउंड की कॉउंसिलिंग होने के बाद भी 65 प्रतिशत से अधिक सीटें खाली हैं. अगर यही हालत रहे तो अगले कुछ वर्षों में कई कॉलेज बंद होने की नौबत आ जाएगी. इस समय में पॉलीटेक्निक संस्थानों के शैक्षिक सत्र 2022-23 में प्रवेश के लिए अंतिम चरण की काउंसिलिंग प्रक्रिया पूरा होने के बाद भरना मुश्किल हो रहा है. अभी तक सरकारी संस्थानों में 40 हजार और निजी संस्थानों में 60 हजार सीटें ही भरी हैं.


मौजूदा समय में प्रदेश भर के पॉलीटेक्निक संस्थानों में सवा दो लाख से अधिक सीटें हैं. इस तरह से करीब 65 फीसदी तक सीटें खाली हैं. इन सीटों के न भरने से कई निजी पॉलीटेक्निक संस्थानों में भी ताला लग सकता है. इस संबंध में सचिव प्राविधिक शिक्षा परिषद एफआर खान (Secretary Technical Education Council FR Khan) ने बताया कि पिछले दो साल में कोरोना संक्रमण के चलते पॉलीटेक्निक संस्थानों पर बड़ा असर पड़ा है. इसके अलावा जो जरूरी किए जाने हैं वह किए जा रहे हैं, नये चार कोर्स भी शुरू कराए गए हैं. सभी जिलों से खाली सीटों के आंकड़े मांगे गए हैं.



सचिव एसआर खान ने बताया कि परिषद की ओर से सभी चरणों की काउंसिलिंग पूरी करा ली गई है. पर अभी भी कई कोर्सों में सीटें खाली हैं. इनको भरने के लिए शासन से एक और चरण की काउंसिलिंग कराने की अनुमति लेने की तैयारी चल रही है. शासन से मंजूरी मिलने के बाद ही 10 नवंबर से पहले इन सीटों को भरने के लिए एक आखरी चरण की काउंसिलिंग कराई जा सकती है.

मौजूदा समय में प्राविधिक शिक्षा परिषद (technical education council) के अंतर्गत प्रदेश भर में 1346 पॉलीटेक्निक संस्थानों का संचालन किया जा रहा है. इनमें 2 लाख 28 हजार सीटें हैं. अभी तक 40 हजार सीटें सरकारी और प्राइवेट में 60 हजार सीटे भर सकी हैं. इसमें सबसे ज्यादा निजी संस्थानों के आगे चुनौती बनकर खड़ी है. क्योंकि उनके यहां वेतन बच्चों की फीस से ही निकलता है. ऐसे में संस्थानों में पढ़ाने वाले शिक्षक व अन्य स्टाफ के लिए भी समस्या होना तय है.
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