लखनऊ:1947 में भारत को अंग्रेजों से पूरी तरीके से आजादी मिल गई थी. आजादी मिलते ही हमें अंग्रेजी हुकूमत के शोषण और अत्याचार से भी आजादी मिल गई. अब हम 73वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहे हैं. जहां एक ओर हमें अंग्रेजों से आजादी मिलने की खुशी है तो वहीं दूसरी ओर इस बात की निराशा है कि आज भी हमारे देश में महिलाओं को अत्याचार, शोषण और अपराध से पूरी तरीके से आजादी नहीं मिल पाई है.
जानकारी देते पूर्व डीजीपी बृजलाल. महिलाओं की आजादी पर उठ रहे हैं सवाल
आज भी बड़े पैमाने पर महिलाओं को आपराधिक घटनाओं का सामना करना पड़ता है. पिछले दिनों कोर्ट में दाखिल एक याचिका के अनुसार पिछले आठ महीनों में सिर्फ उत्तर प्रदेश में 42,000 महिलाओं के साथ दुष्कर्म की घटनाएं दर्ज की गई हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या यही महिलाओं की आजादी है.
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महिलाओं के साथ होने वाली आपराधिक घटनाओं को रोकने में असफल रही पुलिस-
आजादी के 72 वर्ष बाद भी महिलाओं को अपराधों से पूरी तरह से स्वतंत्रता नहीं मिल पाई है. महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराधों की घटनाओं के पीछे कारणों को जानने के लिए जब हमने पड़ताल की तो पता चला कि उत्तर प्रदेश पुलिस के पास महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों को रोकने के लिए कोई तंत्र ही मौजूद नहीं है. भले ही हमारे पास बड़ी संख्या में महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों की रोकथाम के लिए कानून मौजूद हो, लेकिन यह सभी कानून घटनाओं के बाद प्रभावी हैं. वहीं दूसरी ओर हमारे समाज में लंबे समय तक महिलाओं को मुख्यधारा में जोड़ने के लिए प्रयास नहीं किए गए.
महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने की आवश्यकता है, जिसके लिए उनकी पढ़ाई-लिखाई और सामाजिक स्वतंत्रता अनिवार्य है. जब महिलाएं सशक्त हो जाएंगी और अपने पैरों पर खड़ी होंगी तो वह अपने प्रति होने वाले अपराधों के खिलाफ आवाज उठाएंगी और उन अपराधों के बदले जवाब भी दे सकेंगी.
-बृजलाल, पूर्व डीजीपी