लखनऊ : लखनऊ स्थित एसजीपीजीआई संस्थान का 40वां स्थापना दिवस समारोह मनाया गया. इस कार्यक्रम की शुरुआत गुरुवार शाम 4:00 बजे हुई. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में डिप्टी सीएम बृजेश पाठक शामिल हुए. एसजीपीजीआई संस्थान के निदेशक प्रोफेसर आरके धीमान ने पिछले एक साल की रिपोर्ट पेश की. इस दौरान उन्होंने बताया कि 'संस्थान में एक साल में एक लाख 16 हजार नए रोगियों ने पंजीकरण कराया है, वहीं 8 लाख 30 मरीजों ने व्यक्तिगत रूप से डॉक्टर को दिखाया.'
2022 में इमरजेंसी मेडिसिन और नेफ्रोलॉजी यूनिट की हुई थी शुरुआत : संस्थान के निदेशक प्रोफेसर आरके धीमान ने जानकारी देते हुए बताया कि '8 जनवरी 2022 को 558 बेड की क्षमता के इमरजेंसी मेडिसिन और नेफ्रोलॉजी यूनिट की शुरुआत की गई थी. इमरजेंसी मेडिसिन में आने वाले छह महीने के सभी 210 बेड पर भर्ती किया जा सकेगा, वहीं एक साल में चार एमओयू साइन किए गए. एसजीपीजीआई संस्थान में 34 विभाग और 271 फैकल्टी हैं. इंटर म्यूरल फंड शोध के लिए फंड को पांच लाख से बढ़ाकर 10 लाख किया जा रहा है. इस साल 51 लोगों को यह फंड दिया गया. एसएससी न्यूक्लियर मेडिसिन जैसे कोर्स शुरू किए गए हैं. उन्होंने कहा पांच विभाग में रोबोटिक सर्जरी की जाती है. इसके अलावा गामा नाइफ हमारे पास नहीं हैं. यह न्यूरो सर्जरी के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. इसकी मदद से लेजर के जरिए ब्रेन ट्यूमर का इलाज बिना सर्जरी के किया जा सकता है. हमारी कोशिश है, कि यह सरकार से मिल जाए, यदि वहां से नहीं मिलता तो हम पीपीपी मॉडल पर इस संस्थान में लेकर आएंगे.'
संस्थान का स्थापना दिवस बेहद महत्वपूर्ण :डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने कहा कि 'किसी भी संस्थान का स्थापना दिवस बेहद महत्वपूर्ण होता है. एसजीपीजीआई का स्थापना दिवस और भी महत्वपूर्ण है. क्योंकि यह संस्थान अपनी ग्रेडिंग में इंप्रूवमेंट कर लगातार आगे बढ़ रहा है और यह सब इस संस्थान की फैकल्टी, डॉक्टर, प्रोफेसर और एडमिनिस्ट्रेशन की मदद से ही संभव हो सका है. एसजीपीजीआई संस्थान ने सीसीएस यूनिट से पूरे देश में अपनी सफलता का परचम लहराया है. प्रोफेसर धीमान ने 40 वर्षों के सफर को आपके समक्ष रखा है. बड़ी संख्या में हमने ओपीडी में रजिस्ट्रेशन किया और लोगों को ठीककर यहां से भेजा है.'
स्थापना दिवस की शुभकामनाएं दीं :कार्यक्रम में पहुंचे कैबिनेट मंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह ने स्थापना दिवस की शुभकामनाएं दीं. उन्होंने कहा कि सरकार जो आपको दे रही है मैं जानता हूं कि वह लगभग न के बराबर है. आपकी मेहनत की अपेक्षा आपको पैसा नहीं दे पा रहे हैं और बड़ी ईमानदारी से कहना चाहूंगा, कि उसे दे ही नहीं पाएंगे.'