लखनऊ : शिक्षा के अधिकार अधिनियम (RTE) के तहत आर्थिक रूप से कमजोर आय वर्ग के अभिभावकों के बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाने के लिए 25% सीटें आरक्षित हैं. इसके तहत होने वाले प्रवेश प्रक्रिया की जिम्मेदारी बेसिक शिक्षा परिषद के अधीन होती है, लेकिन शैक्षणिक सत्र 2022-23 में पूरे प्रदेश में कुल 124648 आवेदन प्राप्त हुए थे, इनमें से करीब 70 से 72 हजार छात्रों को ही इस सत्र में विभाग प्रवेश दिलाने में कामयाब हो पाया है. अब शासन स्तर तक मामला पहुंचने पर बेसिक शिक्षा विभाग ने सभी जिलों के बीएलओ को पत्र जारी कर उनके यहां आरटीई के तहत हुए प्रवेश की रिपोर्ट मांगी है.
शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत लखनऊ में ही केवल प्रवेश के लिए 14246 छात्रों के आवेदन प्राप्त हुए थे. बेसिक शिक्षा कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, इनमें से केवल 7600 के करीब छात्रों को ही विभाग तीन चरणों की काउंसलिंग के बाद प्रवेश दिलाने में कामयाब हो पाया. शेष बच्चों को शिक्षा से वंचित होना पड़ा. इस मामले को लेकर बीते अक्टूबर में ही मंडलायुक्त रोशन जैकब की ओर से लखनऊ मंडल के सभी 6 जिलों के बीएसए व जिलाधिकारियों को निर्देश दिया गया था कि 10 दिनों के अंदर ही आरटीई के तहत जितने नामांकन आए हैं, उन सभी छात्रों का प्रवेश सुनिश्चित कराया जाए. इस आदेश के बाद भी लखनऊ मंडल में कुल कितने आवेदन आए हैं उनमें 50% छात्रों को ही प्रवेश मिल सका है. मंडलायुक्त ने साफ-साफ निर्देश दिया था कि जो स्कूल आरटीई के तहत प्रवेश लेने से इनकार करते हैं उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई शुरू की जाए. इसके बाद भी पूरा विभाग छात्रों को प्रवेश दिलाने में कामयाब नहीं हो पाया, यहां तक कि स्कूलों पर कोई कार्रवाई तक नहीं की गई है. ऐसा ही कुछ हाल कानपुर मंडल का भी है, केवल कानपुर में ही केवल 8836 आवेदन आरटीई के तहत आए थे, जिसमें से करीब 40% छात्रों को इस शैक्षणिक क्षेत्र में एडमिशन नहीं मिल पाया है.
प्रवेश न मिल पाने का यह है कारण :ज्यादातर स्कूल आर्थिक नुकसान होने की वजह से आरटीई के तहत प्रवेश लेने से कतराते हैं. कुछ स्कूलों ने शिक्षा विभाग में शासन द्वारा समय से फीस की धनराशि न भेजे जाने की शिकायत दर्ज कराई है. बहुत से अभिभावक स्कूल आवंटित होने के बाद भी निजी कारण से बच्चों को प्रवेश नहीं दिलाते. वहीं सरकार का दावा है कि अब तक पौने पांच लाख बच्चों को स्कूल भेजा गया है. आरटीई कानून 2009 में ही लागू किया गया था. पूर्ववर्ती सपा सरकार में 2012 से 2016 तक लगभग 21 हजार बच्चों के एडमिशन हुए थे, जबकि 2017 से 2021-22 तक प्रवेश लिए हुए 3.41 लाख बच्चे निजी स्कूलों में अब भी पढ़ाई कर रहे हैं. इस सत्र में 1.31 लाख बच्चों का प्रवेश हो चुका है. पिछले शैक्षिक सत्र में लगभग एक लाख बच्चों का प्रवेश हुआ था. इस मामले पर महानिदेशक स्कूली शिक्षा विजय किरण आनंद (Director General School Education Vijay Kiran Anand) का कहना है कि आरटीई का पूरा डाटा सभी जिलों के बीएसए से मांगा गया है, इस पर जल्द ही निर्णय लिया जाएगा.