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राष्ट्रपति चुनाव 2022: यूपी में 396 विधायकों ने डाले वोट, जानिए किसने की क्रॉस वोटिंग? - election for president 2022

राष्ट्रपति चुनाव में यूपी में 396 विधायकों ने वोट डाले. चलिए जानते हैं इस चुनाव से किसने क्रॉस वोटिंग की और किसने मतदान नहीं किया?

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राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान सम्पन्न, पहला वोट सीएम योगी तो आख़िरी सपा की पूजा पाल ने डाला, शिवपाल सहित सपा विधायक ने की क्रास वोटिंग

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Published : Jul 18, 2022, 7:36 PM IST

लखनऊ: राष्ट्रपति पद (Presidential Election 2022) के लिए सोमवार को हुए चुनाव में कुल 396 विधायकों ने वोट डाले. यूपी विधान भवन के तिलक हॉल में मतदान की प्रक्रिया शुरू हुई तो सबसे पहला वोट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने डाला इसके बाद दूसरा वोट संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने डाला.तीसरे वोट के रूप में गौतम बुध नगर के जेवर से विधायक धीरेंद्र सिंह ने मतदान किया. इस चुनाव में उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक, मंत्री धर्मपाल सिंह, स्वतंत्र देव सिंह समेत कई मंत्रियों ने मताधिकार का प्रयोग किया. सबसे आखिरी वोट समाजवादी पार्टी की विधायक पूजा पाल ने डाला.

राष्ट्रपति पद के चुनाव में खास बात यह है कि समाजवादी पार्टी और गठबंधन के खेमे में भी बीजेपी ने सेंध लगा दी. एक तरफ जहां गठबंधन के सहयोगी दल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने राष्ट्रपति पद की एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन करते हुए मतदान किया, वही सपा विधायक शिवपाल सिंह यादव ने भी खुलेआम द्रौपदी मुर्मू को मतदान करने की बात कही. इसके अलावा बरेली के भोजीपुरा से सपा विधायक शहजील इस्लाम ने भी क्रास वोटिंग की. शहजील इस्लाम ने मतदान से पहले और मतदान के बाद शिवपाल सिंह यादव के साथ मुलाकात की और बातचीत की. माना जा रहा है कि शहजील इस्लाम ने सपा नेतृत्व की बात मानने के बजाय द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में अपना मतदान किया है. जानकारों का कहना है कि सपा विधायक ने अपने आगे का रास्ता ठीक करने और उनके पेट्रोल पंप पर योगी सरकार द्वारा की गई कार्यवाही से बचने के लिए शिवपाल के सहारे सरकार के करीब जाने की कोशिश की है. इसके साथ ही कई अन्य सपा विधायकों के क्रास वोटिंग की चर्चा है.


वहीं, जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने भी मतदान किया. उन्होंने भी एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को वोट दिया है. कुल 396 विधायकों ने वोट डाले. 403 विधानसभा सदस्यों में से 398 विधायकों को विधान भवन मतदान करना था. विधायकों ने लखनऊ से बाहर मतदान के लिए अनुमति मांगी थी जिन्होंने बाहर ही अपने मताधिकार का उपयोग किया.

सपा के विधायक अब्बास अंसारी गैर जमानती वारंट जारी होने के चलते मतदान करने नहीं पहुंचे जबकि दूसरे सपा विधायक नाहिद अंसारी एक मुकदमे में जेल में बंद हैं और मतदान की प्रक्रिया में हिस्सा नहीं ले सके. यूपी विधान सभा के पांच सदस्य ऐसे हैं जो राष्ट्रपति पद के चुनाव में लखनऊ से बाहर मतदान करने की प्रक्रिया में शामिल हुए. सहारनपुर की नकुड़ सीट से भाजपा विधायक मुकेश चौधरी, हाथरस के सादाबाद सीट से रालोद विधायक प्रदीप कुमार सिंह, मुरादाबाद की कुंदरकी सीट से सपा विधायक जियाउर्रहमान, महोबा की चरखारी सीट के भाजपा विधायक ब्रजभूषण राजपूत व वाराणसी की सेवापुरी सीट से भाजपा विधायक नील रतन सिंह ने बाहर से मतदान किया. इनमें से मुकेश चौधरी, प्रदीप कुमार सिंह, ब्रजभूषण राजपूत, जियाउर्रहमान ने निर्वाचन आयोग को संसद भवन दिल्ली में मतदान करने का विकल्प दिया था जबकि नील रतन सिंह ने तिरुवनंतपुरम में वोट डालने का विकल्प दिया था, जिसे अनुमति देते हुए व्यवस्था कराई गई.


मतदान के बाद प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष व सपा विधायक शिवपाल सिंह यादव ने कहा है कि नेताजी (मुलायम यादव) को ISI एजेंट कहने वाले (विपक्ष के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा) का हम कभी समर्थन नहीं कर सकते. इससे पहले जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने वोट डालने के बाद कहा कि हमारी विचारधारा यशवंत सिन्हा से नहीं मिलती, इसलिए हमारे दल का समर्थन द्रौपदी मुर्मू के लिए है. कहा कि देश को बचाने के लिए द्रोपदी मुर्मू का समर्थन कर रहे हैं. राजा भैया ने कहा कि बहुत सारे लोगों ने अंतरात्मा की आवाज पर वोट किया है.

सपा से छिटके ओपी राजभर और शिवपाल
राष्ट्रपति चुनाव ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में लोकसभा चुनाव की पटकथा लिख दी है. राष्ट्रपति चुनाव में सपा मुखिया की अपरिपक्वता के कारण गठबंधन की सहयोगी दल सुभासपा उससे अलग हो गई और विधायक शिवपाल सिंह यादव ने भी सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के खिलाफ विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार के बयान का मुद्दा उठाकर पार्टी को बैकफुट पर ला दिया.


राष्ट्रपति चुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की रणनीति ने विपक्ष को पटखनी दे दी है. सीएम योगी ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की उम्मीदवार द्रोपदी मुर्मू के आगमन पर विपक्षी नेताओं को डिनर पर आमंत्रित कर बड़ी पहल कर दी थी जबकि इससे पहले सपा मुखिया अखिलेश यादव ने विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार यशवंत सिन्हा की हुई प्रेस वार्ता में अपने ही गठबंधन के साथी सुभासपा को नहीं बुलाया था. राष्ट्रपति चुनाव में सपा अपने गठबंधन के साथी को एकजुट करने में भी नाकाम साबित हुई. इसके लिए सुभासपा नेता ओम प्रकाश राजभर ने सपा को ही जिम्मेदार ठहराया है. इसी तरह बैठक में नहीं बुलाने के कारण विधायक शिवपाल सिंह यादव ने भी सपा मुखिया को ही जिम्मेदार ठहराया. इतना ही नहीं, उन्होंने सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव को आईएसआई एजेंट बताने वाले विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार के समर्थन पर भी पुनर्विचार की मांग की और इसी आधार पर एनडीए प्रत्याशी को वोट दिया.


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