लखनऊ: आम बजट में स्क्रैप पॉलिसी के एलान के बाद वाहन स्वामियों में हड़कंप मच गया है. सालों पुराने वाहनों को कबाड़ वाहन घोषित किए जाने के सरकार के फैसले के बाद अब वाहन स्वामी चिंतित हैं. इस पॉलिसी में प्राइवेट वाहनों में 20 साल और कॉमर्शियल वाहनों को 15 साल पूरे होने पर शामिल किया गया है. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में तकरीबन ढाई लाख वाहन स्वामियों के पास ऐसे निजी वाहन हैं, वहीं व्यवसायिक वाहनों की संख्या एक लाख के करीब है.
एक अप्रैल 2022 की समयसीमा तय
परिवहन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि लखनऊ के अलावा उत्तर प्रदेश में कुल तीन करोड़ वाहन रजिस्टर्ड हैं. इसमें करीब 30 लाख वाहन स्क्रैप पॉलिसी के दायरे में आएंगे. बजट में स्क्रैप पॉलिसी लागू करने की अवधि एक अप्रैल 2022 तय की गई है. इसके लागू होने से 15 और 20 साल की आयु पूरी कर चुके वाहनों को कबाड़ घोषित कर दिया जाएगा.
स्क्रैप पॉलिसी के हो सकते हैं ये फायदे
- पॉलिसी के तहत वाहन की बिक्री करने पर नए वाहनों पर टैक्स में छूट मिलेगी.
- नई स्क्रैप पॉलिसी का उद्देश्य पुराने वाहनों को चलन से बाहर करना है.
- पुराने वाहनों से वायु प्रदूषण फैलता है, जो नियंत्रित होगा.
- प्रदेश भर में कबाड़ केंद्र बनने से बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार मिलेगा.
- पुराने वाहन कबाड़ घोषित होने से सेकेंड हैंड वाहनों की कीमत कम हो जाएगी.
ये है वाहनों की संख्या
- लखनऊ में 31 जनवरी 2021 तक पंजीकृत वाहनों की संख्या 25 लाख है.
- 20 वर्ष पुराने दो व चार पहिया निजी वाहनों की संख्या 2 लाख 65 हजार है.
- 15 वर्ष पुराने कॉमर्शियल वाहनों की संख्या 90 हजार है.
प्रदूषण पर होगा नियंत्रण, सस्ते मिलेंगे वाहन
स्क्रैप पॉलिसी की बजट में घोषणा होने पर उत्तर प्रदेश के परिवहन आयुक्त धीरज साहू का कहना है कि इससे ऑटोमोबाइल फील्ड में उछाल आएगा. पुराने वाहन सस्ते हो जाएंगे, नए वाहनों की बिक्री बढ़ेगी. पुराने वाहनों के कबाड़ घोषित होने से प्रदूषण भी नियंत्रित होगा.