लखनऊः जय प्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय केंद्र (JPNIC) के संचालन से पहले एक बार फिर इसकी जांच होगी. डीपीआर से ज्यादा निर्माण में खर्च की जांच के लिए 3 सदस्यीय कमेटी को जिम्मेदारी दी गई है. कमेटी में लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता भवन, मुख्य अभियंता विद्युत यांत्रिक और उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन के मुख्य अभियंता सेस को शामिल किया गया है. मुख्य सचिव की अध्यक्षता में JPNIC के अधूरे कामों को पूरा कराने के साथ ही संचालन को लेकर 16 जुलाई को बैठक होगी.
लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) एलडीए ने जांच कमेटी को JPNIC की संशोधित डीपीआर की प्रति, परियोजना का संक्षिप्त विवरण, शासन की ओर से निर्गत शासनादेशों का संग्रह, अभिलेखों का संकलन और परियोजना का संक्षिप्त वित्तीय विवरण उपलब्ध करा दिया है. शासन से 9 जुलाई को जेपीएनआईसी की जांच के लिए आदेश किया गया था. इस संबंध दो दिन पहले जांच कमेटी की पहली बैठक भी हो गई है.
जांच कमेटी के आधार पर ही जेपी इंटरनेशनल सेंटर के के अधूरे कामों को पूरा करने तथा संचालन को लेकर निर्णय हो सकेगा. जांच कमेटी पहले स्वीकृत डीपीआर से जिन मदों में अधिक धनराशि खर्च की गई है, उसके औचित्य का परीक्षण करेगी. स्वीकृत डीपीआर से अतिरिक्त कराए गए कामों व उनके एस्टीमेट तथा खर्चे का भी परीक्षण करेगी. स्वीकृत डीपीआर के मदों में उल्लेखित कामों की मात्रा में विचलन के औचित्य का भी परीक्षण होगा. एलडीए की ओर से कराए गए कामों के लिए अपनाई गई टेंडर प्रक्रिया में नियमों के अनुपालन की भी जांच होगी.
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बता दें कि सपा सरकार में जेपीएनआईसी के लिए 865 करोड़ रुपये मंजूर किए गए थे. सरकार बदल गई मगर काम अधूरे रह गए. जेपीएनआईसी पर अब तक 813 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं. वहीं, चार साल से यहां कोई काम नहीं हुआ. इस समय प्रोजेक्ट पर काम पूरी तरह बंद है. सरकारी बजट खर्च होने के बाद भी इसे उपयोगी नहीं बनाया जा सका है. अधूरे कामों के पूरा न होने से इसकी लागत बढ़ती जा रही है. संशोधित डीपीआर में इसका बजट 995 करोड़ रुपये हो चुका है. यानी, लागत 130 करोड़ रुपये बढ़ चुकी है. वहीं, अब भी आडिटोरियम, स्पोर्ट्स ब्लॉक, गेस्ट हाउस ब्लॉक के अलावा लैंडस्केपिंग के काम अधूरे हैं. मुख्य अभियंता इंदुशेखर सिंह का कहना है कि जेपीएनआईसी को पूरा करने के लिए शासन की मंशा के मुताबिक काम किया जाएगा.