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लखनऊ: कोरोना के साये के बीच 2 महीने में 2500 टीबी के मरीज हुए चिन्हित

पूरे देश में कोरोना वायरस का खौफ है. इसके चलते कुछ मरीज खांसी, जुकाम और बुखार होने पर कोरोना की जांच के लिए जिला अस्पताल पहुंच रहे हैं. वहीं राजधानी में इन मरीजों में टीबी की पुष्टि हो रही है. दो महीने में 2500 लोगों को टीबी का रोग होने पर चिन्हित किया चुका है.

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कोरोना के कारण 2 महीने में 2500 लोगों में टीबी की हुई पहचान

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Published : Apr 26, 2020, 12:18 PM IST

लखनऊ:कोरोना वायरस पूरे विश्व भर में व्याप्त है. इसके बाद अब भारत में भी कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. इसके कारण लोगों के भीतर कोरोना को लेकर के भय बना हुआ है. कोरोना वायरस की वजह से लोग हल्की खांसी, जुकाम होने पर सीधा चिकित्सा सलाह ले रहे हैं. इसी खौफ के चलते राजधानी में हर दिन टीबी मरीजों की पहचान हो रही है, जिसमें अब तक करीब 2 महीने में 2500 टीबी के मरीजों को चिन्हित किया जा चुका है.

कोरोना के डर से लोग करा रहे जांच, टीबी की हो रही पुष्टि
कोरोना वायरस का भय लोगों के बीच ऐसा व्याप्त है कि कोरोना वायरस के लक्षण दिखने के बाद वह तुरंत राजधानी के सरकारी चिकित्सीय सलाह लेने पहुंच रहे हैं. इस कारण अब लोग खांसी, जुखाम और बुखार को नजरअंदाज कर रहे हैं. लोग कोरोना के खौफ की वजह से अस्पताल पहुंच रहे हैं. इसी खौफ के चलते राजधानी लखनऊ में हर दिन टीबी मरीजों की पहचान हो रही है.

जिले में अब तक 2500 मरीजों मे टीबी की पुष्टि
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. बीके सिंह ने बताया कि शहर में बने 74 डॉट्स सेंटर में रोजाना 20 से 30 लोग और कोरोना के खौफ के चलते बलगम की जांच के लिए आ रहे हैं, लेकिन जब बलगम की जांच करवाई जाती है तो उन्हें टीबी की पुष्टि हो रही है. जनवरी से लेकर के अभी तक करीब 3,700 लोग राजधानी के टीबी मरीजों की सूची में जुड़े हैं. कोरोना की दहशत से फरवरी में अब तक करीब 2,500 मरीज में टीबी की पुष्टि हुई है.

महीने की दवा मिल रही डॉट्स केंद्र पर
लॉकडाउन के बीच में लोग घर से निकल नहीं पा रहे हैं, जिस कारण बहुत से ऐसे मरीज भी सामने आ रहे हैं, जिनका 6 महीने का टीबी का कोर्स पूरा नहीं हो पाया. इसकी वजह से उनमें क्षय रोग अभी भी बना हुआ है. अब इन तमाम दिक्कतों को देखते हुए टीबी डॉट्स केंद्रों पर मरीजों को पूरे 1 महीने की दवा दी जा रही है. ताकि उन्हें बीच में वापस न आना पड़े और समय से अपनी दवाइयों को लेते रहें, जिससे कि टीबी को जड़ से उनके शरीर से खत्म किया जा सके.

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