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लखनऊ में ब्लैक फंगस के 22 मरीज भर्ती, बाजार में दवा का संकट - latest corona update in lucknow

ब्लैक फंगस के इलाज में आवश्यक दवा, इंजेक्शन का बाजार में संकट बना हुआ है. ऐसे में मरीजों तक समय पर दवाएं उपलब्ध कराने के लिए शासन ने पोर्टल शुरू किया है.

लखनऊ में ब्लैक फंगस के 22 मरीज भर्ती, बाजार में दवा का संकट
लखनऊ में ब्लैक फंगस के 22 मरीज भर्ती, बाजार में दवा का संकट

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Published : May 19, 2021, 8:44 PM IST

लखनऊ :कोरोना के मरीजों पर ब्लैक फंगस का हमला जारी है. बुधवार को राजधानी में 22 लोगों में फंगस की पुष्टि हुई है. यह मरीज राजधानी के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती हैं. वहीं, इलाज के लिए आवश्यक दवा का संकट बना हुआ है.

पूरे प्रदेश से ब्लैक फंगस के मरीज राजधानी में इलाज के लिए आ रहे हैं. केजीएमयू कर प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह के मुताबिक 24 घंटे में ब्लैक फंगस के 16 मरीज भर्ती किए गए हैं. वहीं, वार्ड में मौजूदा समय में 50 मरीज भर्ती हैं. छह मरीजों का ऑपरेशन किया गया है. यह ऑपरेशन आंख व नाक से संबंधित हैं. इनमें फंगस पाया गया है. ऑपरेशन के बाद मरीजों की तबीयत स्थिर बनी हुई है. उन्होंने बताया कि तबीयत में सुधार के बाद एक मरीज को डिस्चार्ज किया गया है. अब तक कुल 77 मरीज ब्लैक फंगस के भर्ती कराए जा चुके हैं. सात मरीज इलाज के दौरान दम तोड़ चुके हैं.


चार मरीज लोहिया में भर्ती

लोहिया संस्थान में चार मरीज भर्ती किए गए हैं. मौजूदा समय में कुल सात मरीज भर्ती हैं. संस्थान के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. विक्रम सिंह के मुताबिक ब्लैक फंगस के इलाज के लिए जरूरी दवाएं मरीजों को मुहैया कराई जा रहीं हैं. सभी दवाएं अस्पताल में उपलब्ध हैं.

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एरा में दो मरीज भर्ती

एरा मेडिकल कॉलेज में ब्लैक फंगस की चपेट में आने के बाद दो मरीज भर्ती कराए गए हैं. कॉलेज के प्राचार्य डॉ. फरीदी के मुताबिक दोनों मरीजों की तबीयत स्थिर है. वहीं, एक निजी अस्पताल में एक मरीज का ऑपरेशन हुआ है.

दवा के लिए पोर्टल शुरू, कालाबाजारी पर कसेगी लगाम

ब्लैक फंगस के इलाज में आवश्यक दवा, इंजेक्शन का बाजार में संकट बना हुआ है. ऐसे में मरीजों तक समय पर दवाएं उपलब्ध कराने के लिए शासन ने पोर्टल शुरू किया है. मरीज को भर्ती करने के बाद अस्पताल इलाज में इस्तेमाल होने वाली जरूरी दवाओं की जानकारी पोर्टल पर दर्ज करते हैं. इसके कुछ समय बाद मरीज के लिए दवाएं जारी कर दी जाती हैं. डॉक्टरों का कहना है कि मरीज के तीमारदारों को दवाओं के लिए भटकना नहीं पड़ेगा. वहीं, दवाओं की कालाबाजारी पर लगाम लगेगी. समय पर मरीजों को दवा मिलने की राह भी आसान हो गई है.

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