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यूपी में 218 पॉक्सो कोर्ट के माध्यम से अपराधियों को मिल रही सजा

उत्तर प्रदेश में 2019 में योगी सरकार ने पॉक्सो कोर्ट की स्थापना का निर्णय लिया था. अब तक प्रदेश में 218 पॉक्सो कोर्ट की स्थापना हो चुकी है. इन अदालतों के माध्यम से महिलाओं और बच्चों को कम समय में न्याय मिल रहा है.

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Published : Mar 23, 2021, 7:07 PM IST

Updated : Mar 25, 2021, 12:27 PM IST

उत्तर प्रदेश सराकर.
उत्तर प्रदेश सराकर.

लखनऊःमहिलाओं और बच्चों के प्रति बढ़ते अपराध को देखते हुए उत्तर प्रदेश में 2019 में योगी सरकार ने पॉक्सो कोर्ट की स्थापना का निर्णय लिया था. मौजूदा समय में प्रदेश के प्रत्येक जिले में पॉक्सो कोर्ट की स्थापना की जा चुकी है. इसके अलावा लगभग सभी जिलों अपराधों की समीक्षा और सुनवाई करने के लिए अतिरिक्त कोर्ट की स्थापना की गई है. राज्य के 17 जिलों में चार-चार न्यायालय हैं. वहीं 36 में तीन-तीन और 21 जिलों में दो कोर्ट का गठन किया गया है. इस लिहाज से प्रदेश के सभी जिलों में मिलाकर कुल 218 पॉक्सो कोर्ट काम कर रहे हैं.

लखनऊ.

218 न्यायिक अधिकारियों के पद सृजित
प्रदेश में लैंगिक अपराधों से बालकों को संरक्षण अधिनियम 2012 (पॉक्सो एक्ट) के अधीन न्यायालयों में आपराधिक वादों तथा बलात्कार से संबंधित अपराधों के आपराधिक वादों के निस्तारण के लिए प्रदेश में 218 नियमित न्यायालयों की स्थापना की गई है. न्यायालयों की स्थापना के लिए 1744 पदों का सृजन किया गया. इसमें अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश के पद पर 218 न्यायिक अधिकारियों के पद सृजित किये गए.

अर्दली और चपरासी के 436 पद सृजित
वहीं आशुलिपिक ग्रेड-1 के 218 पद, मुंसरिम/ रीडर के 218, सीनियर असिस्टेंट के 218 और जूनियर असिस्टेंट के 218 पद सृजित किये गए हैं. जूनियर असिस्टेंट के पद पर आउटसोर्सिंग के माध्यम से भर्ती करने की व्यवस्था की गई है. अर्दली और चपरासी के 436 पद सृजित हुए हैं. यह भी आउटसोर्सिंग के माध्यम से भर्ती होंगे. दफ्तरी के लिए 218 कर्मचारियों के पद सृजित किए गए हैं. इन पदों पर भी आउटसोर्सिंग के माध्यम से नियुक्ति की व्यवस्था की गयी है. सूबे के कानून मंत्री बृजेश पाठक का कहना है कि सभी न्यायालयों में आवश्यकता अनुसार भर्ती की गई है. सभी न्यायालय काम कर रहे हैं. सूबे में प्रत्येक बच्चे और महिला को न्याय मिले इसके लिए हमारी सरकार प्रतिबद्ध है.

इन 17 जिलों में हैं चार कोर्ट
सीतापुर, गोरखपुर, लखनऊ, गाजियाबाद, बरेली, आगरा, मेरठ, अलीगढ़, इलाहाबाद, बुलंदशहर, कुशीनगर, रायबरेली, फिरोजाबाद, कौशांबी, बदायूं, वाराणसी और हरदोई में चार-चार कोर्ट स्थापित हैं.

36 जिलों में तीन-तीन कोर्ट
लखीमपुर खीरी, जौनपुर, कानपुर नगर, आजमगढ़, मुजफ्फरनगर, शाहजहांपुर, कानपुर देहात, प्रतापगढ़, सुल्तानपुर, गौतम बुद्ध नगर, मैनपुरी, उन्नाव, मुरादाबाद, सहारनपुर, फतेहपुर, मथुरा, महाराजगंज, हमीरपुर, हापुड़, देवरिया, बाराबंकी, जेपी नगर, गाजीपुर, फैजाबाद, बस्ती, अंबेडकर नगर, मऊ, पीलीभीत, बहराइच, फर्रुखाबाद, बलिया, संत कबीर नगर, एटा, बलरामपुर, रामपुर और सिद्धार्थ नगर में 3-3 कोर्ट स्थापित हैं.

21 जिलों में दो-दो पॉक्सो कोर्ट में हो रही सुनवाई
इसके अलावा कन्नौज, बिजनौर, हाथरस, बागपत, बांदा, झांसी, जालौन, गोंडा, औरैया, सोनभद्र, इटावा, मिर्जापुर, महोबा, चंदौली, कांशी राम नगर, श्रावस्ती, चित्रकूट, शामली, ललितपुर, संभल और भदोही में दो-दो पॉक्सो कोर्ट स्थापित हैं.

पॉक्सो एक्ट के तहत उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में नए कोर्ट का गठन किया गया है. प्रदेश में महिलाओं और बच्चों के प्रति हुए अपराधों में उन्हें न्याय दिलाने के लिए न्यायपालिका बहुत अच्छे से काम कर रही है. कई मामलों में तो हमने आठ महीने के अंदर अपराधियों को सजा दिलाई है. इन न्यायालयों में अधिवक्ता, जजों और कर्मचारियों की नियुक्ति भी की जा चुकी है.
-बृजेश पाठक, कानून मंत्री

Last Updated : Mar 25, 2021, 12:27 PM IST

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