लखनऊः उत्तर प्रदेश विधान परिषद की स्नातक और शिक्षक क्षेत्र की 11 सीटों पर चुनाव हुआ. इसमें युवा बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं. 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले स्नातक व शिक्षक विधान परिषद-2020 के चुनाव में युवा मतदाताओं का मूड आगामी विधान सभा चुनाव के रुख को भी दर्शाएगा. हालांकि राजनीतिक विश्लेषक इससे पूरी तरह से सहमत नजर नहीं आते.
एमएलसी की 11 सीटों पर हुआ मतदान. यूपी में हैं 24 लाख युवा मतदाता
एमएलसी चुनाव में युवा मतदाता किन प्रत्याशियों का साथ देते हैं. यह चुनाव परिणाम बताएंगे. हालांकि आगामी विधानसभा चुनाव के बारे में इनके मूड से समझा जा सकता है. इन चुनाव के राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों से ज्यादा निर्दलीय उम्मीदवार ज्यादा बेहतर प्रबंधन से चुनाव लड़ते रहे हैं. चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश में कुल 14 करोड़ से अधिक मतदाता हैं. इनमें 24 लाख 53 हजार युवा वोटर हैं.
12 लाख युवाओं को बनाया जा सका है ग्रेजुएट वोटर
यूपी में जिन पांच स्नातक क्षेत्रों के चुनाव में राजनीतिक दलों के साथ-साथ निर्दलीय उम्मीदवारों की तरफ से 12 लाख से अधिक युवाओं को ग्रेजुएट वोटर बनाया गया है, जो कुल वोटर का आधा हैं. ऐसे में यूपी के कुल युवा वोटरों की संख्या का 50 फीसद हिस्सा ही एमएलसी चुनाव के वोट में युवा शामिल रहेंगे. इसके चलते पूरी तरह से युवाओं के मूड को बता पाना भी संभव नहीं है.
प्रदेश के 50 फीसदी युवा ही बने वोटर. परिणाम बताएंगे राजनीतिक दलों की युवाओं तक पहुंचे
राजनीतिक विश्लेषक भी इसे 2022 के चुनाव में एमएलसी चुनाव परिणामों को मूड के रूप में बताने से सहमत नहीं दिखते. इसके अलावा खास बात यह भी है कि युवा वोटरों के बीच राजनीतिक दलों की कितनी पकड़ और पहुंच है. यह चुनाव परिणाम ही बताएंगे. युवाओं की पसंद निर्दलीय उम्मीदवार है या फिर राजनीतिक दलों के उम्मीदवार. इन चुनावों से यह भी सामने आ सकेगा. विधान परिषद के इन चुनावों से राजनीतिक दल अपने आगामी चुनावों की रणनीति तैयार कर सकेंगे.
बसपा को छोड़कर सभी ने उतारे उम्मीदवार
प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस पार्टी और समाजवादी पार्टी ने एमएलसी चुनाव में अपने उम्मीदवारों को उतारा है. वहीं बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने खुद को इस चुनाव से दूर रखा है. ऐसे में 2022 के विधानसभा चुनाव में एमएलसी चुनाव के परिणाम कितना असर डालेंगे ये तो समय ही बताएगा.
भाजपा के कामों से कितने प्रभावित युवा
यह भी उल्लेखनीय है कि योगी आदित्यनाथ सरकार के द्वारा पिछले कुछ समय में जिस प्रकार से दावे किए गए कि युवाओं के लिए सरकार ने बड़े काम किए हैं. काफी संख्या में युवाओं को रोजगार दिया गया है. लगातार राज्य सरकार लाखों की संख्या में युवाओं को नौकरी देने का काम कर रही है. ऐसे में युवा भाजपा सरकार के इन कामकाज से कितना प्रभावित हुआ है. यह भी सामने आएगा इसके अलावा कानून व्यवस्था शिक्षा स्वास्थ्य सहित अन्य तमाम मुद्दों पर राज्य सरकार ने कितना काम किया है. उस पर भी युवा वर्ग अपनी मुहर लगाएगा.
चुनाव बताएगा युवा साथ या नाराज
राज्य सरकार की तरफ से बड़े पैमाने पर निवेश कराने की बात कही गई है. यूपी को विकास की राह पर तेजी से अग्रसर करने के दावे किए गए हैं. ऐसे तमाम सरकारी दावों पर युवा अपने वोट के माध्यम से अपनी पसंद भी बताएंगे.
विश्लेषक बोले- विस चुनावों पर नहीं पड़ेगा असर
राजनीतिक विश्लेषक प्रद्युम्न तिवारी कहते हैं कि विधानसभा चुनाव 2022 में इस चुनाव का कोई खास असर नहीं पड़ेगा. वजह है कि प्रत्याशी भी मतदाताओं का वोट बनवाने के लिए इस चुनाव में गंभीर नहीं दिखते हैं. तमाम ऐसे युवा हैं जो इस चुनाव में वोट डालने भी नहीं जाते हैं और उनका वोट बनता भी नहीं है. ऐसे में 2022 का चुनाव इस चुनाव से तय हो ऐसा बिल्कुल भी नहीं लगता. कितने युवा मतदाताओं को वोटर बनाया गया है.
यह भी देखने वाली बात होगी. ऐसे में 2022 के विधानसभा चुनाव को लेकर इस एमएलसी चुनाव के मूड से नहीं भांपा जा सकता है. निर्दलीय उम्मीदवार भी अपने बेहतर प्रबंधन से चुनाव लड़ते हैं. यह जरूर है कि चुनाव परिणाम से राजनीतिक दलों का भी उत्साहवर्धन हो सकता है. उसी आधार पर वह लोग अपनी आगामी रणनीति और तैयारी करने का काम करेंगे