लखनऊ : नवाब वाजिद अली शाह प्राणी उद्यान में पिछले एक साल में अनेकों जानवरों की मौत हुई है. जिसमें इजराइल से आए हुए जिराफ, चिंपांजी बंदर शामिल हैं. बता दें मंगलवार को लखनऊ चिड़ियाघर 101 साल (101 years of Lucknow Zoo) में प्रवेश करने जा रहा है. इसकी स्थापना 29 नवंबर 1921 को हुई थी. पिछले एक साल में बहुत सारे जानवरों की मौत हुई है, वहीं कुछ जानवर लखनऊ चिड़ियाघर में आए भी हैं. जिन जानवरों की मौत हुई है आज भी वह बाड़े सूने पड़े हैं. नर चिंपैंजी जैसन की मौत के बाद मादा चिंपैंजी निकिथा काफी उदास रहती है.
लखनऊ चिड़ियाघर के डायरेक्टर बीके मिश्रा ने बताया कि पिछले एक साल में कुछ जानवरों की मौत हुई है. जैसन चिंपैंजी की मौत उसकी उम्र हो जाने की वजह से हुई है. इजराइल से आए हुए 6 जेब्रा में से एक की मौत हो गई थी. उसके पीछे यह कारण बताया गया था कि इजराइल से आते समय रास्ते में शायद वह चोटिल हो गया था, जिसके कारण उसकी मौत हुई थी, हालांकि लखनऊ चिड़ियाघर में वन्य जीव चिकित्सक भी हैं. जेब्रा को चिकित्सकों ने ट्रीटमेंट भी दिया था, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका था. इसके अलावा एक बाघिन की मौत हुई थी. बाघिन के पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह पाया गया था कि यह बाघिन पहले से ही यानी कि बचपन से अंडर डेवलप थी. ऐसे में तमाम कोशिशों के बावजूद उसे बचाया नहीं जा सका. पिछले साल नर चिंपैंजी जैसन की मौत हुई थी. जिसके बाद 15 वर्षों से साथ रह रही मादा चिंपैंजी निकिथा के हाव भाव में काफी ज्यादा बदलाव आया है. वह उदास व अकेली बैठी रहती है.
जानकारी देतीं संवाददाता अपर्णा शुक्ला
बता दें कि बीते रविवार को मद्रास से सफेद बाघिन को लाया गया है, फिलहाल 15 दिन के लिए उसे क्वॉरेंटाइन किया गया है. इससे उसके हाव-भाव में थोड़ा सा बदलाव आएगा. जिससे वह यहां के अनुसार अपने आपको ढाल ले. 15 दिन बाद उसे सैलानियों के लिए बाड़े में शिफ्ट किया जाएगा.
डायरेक्टर वीके मिश्रा ने बताया कि कुछ समय पहले नर चिंपैंजी जैसन की मौत हुई थी, जिसके बाद से मादा चिंपैंजी निकिथा काफी हताश रहती है. ऐसे भी लखनऊ चिड़ियाघर को नर चिंपैंजी की तलाश है. हमारे संपर्क में जितने भी चिड़ियाघर हैं, वहां पर हमने यह जानकारी दी है कि लखनऊ चिड़ियाघर को एक नर चिंपैंजी की जरूरत है. जिससे मादा चिंपैंजी के साथ रखा जा सके, हालांकि तलाश अभी जारी है. जैसे ही नर चिंपैंजी कहीं से मिलता है तो जैसन की कमी को पूरा किया जाएगा.
अलीगंज निवासी अर्चना चौबे बच्चों के साथ लखनऊ चिड़ियाघर घूमने पहुंचीं. जहां पर उन्होंने अपने बच्चों को अपने बचपन की कहानी सुनाई. ईटीवी भारत से भी बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि फिलहाल वह बच्चों को यही बता रही थी कि जब वह कक्षा 4 में थीं उस समय पर वह परिवार संग चिड़ियाघर घूमने आई थीं. हमने देखा था कि एक चिंपैंजी अपने बच्चे का पानी से मुंह पूछ रही थी. उसे देखकर काफी अच्छा लगा था और वह आज तक हमें याद है. आज जब चिंपैंजी का बाड़ा सूना देखा तो अपने बचपन की कहानी याद आई और बच्चों को सुनाने लगी.
वहीं शिवानी ने बातचीत के दौरान कहा कि लखनऊ चिड़ियाघर घूमना काफी अच्छा लगता है. कई बार स्कूल की तरफ से भी हम घूमने फिरने के लिए आते हैं. अभी हाल ही में यहां पर बाघिन की मौत हुई थी. जब हमें पता चला तो काफी बुरा लगा था. सलोनी ने कहा कि हम देख पा रहे हैं कि मादा चिंपैंजी किस तरह से अकेली बैठी हुई है काफी बुरा लग रहा है.
बातचीत के दौरान डायरेक्टर वीके मिश्रा ने बताया कि वैसे तो हर मौसम में सैलानियों की संख्या अधिक होती है, लेकिन सर्दियों के मौसम में सैलानियों की संख्या बढ़ने लगती है. मौजूदा समय में तकरीबन 8,000 से 13,000 सैलानी घूमने फिरने के लिए चिड़ियाघर में आ रहे हैं. इसमें प्रदेश भर से लोग घूमने फिरने के लिए आते हैं, वही स्कूलों से बच्चे भी पिकनिक मनाने के लिए आते हैं. लखनऊ चिड़ियाघर में शनिवार और रविवार के दिन काफी ज्यादा भीड़ रहती है. सैलानियों की संख्या इससे भी ज्यादा हो जाती है.
नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान का 101वां स्थापना दिवस बहुत धूमधाम से बारादरी लॉन में मनाया गया. इस समारोह के मुख्य अतिथि डॉ. अरूण कुमार, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), वन एवं पर्यावरण, जन्तु उद्यान एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, उत्तर प्रदेश एवं विशिट अतिथि केपी मलिक, राज्य मंत्री, वन एवं पर्यावरण, जन्तु उद्यान एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, उत्तर प्रदेश रहे. मुख्य अतिथि ने प्राणि उद्यान के गेट संख्या-2 पर स्थिति सेल्फी प्वाइंट का अनावरण किया. चेन्नई से आयी सफेद बाघिन को 15 दिन बाद दर्शकों के लिए डिस्प्ले किया जायेगा. इस दौरान मनोज सिंह, अपर मुख्य सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, उत्तर प्रदेश शासन, ममता संजीव दूबे, प्रधान मुख्य वन संरक्षक और विभागाध्यक्ष, उत्तर प्रदेश, सुधीर कुमार शर्मा, प्रबन्ध निदेशक, उत्तर प्रदेश वन निगम, वीके मिश्र, निदेशक, नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान, लखनऊ, डॉ. उत्कर्ष शुक्ला, उप निदेशक, नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान, लखनऊ, आरके नेगी, क्षेत्रीय वनाधिकारी, नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान, लखनऊ तथा प्राणि उद्यान के कर्मचारी मौजूद रहे.
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