लॉक डाउन में छलक उठा मजदूरों का दर्द
ललितपुरः कोरोना संकट को देखते हुए और पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की पुष्टि होने के बाद ही से ललितपुर जिला प्रशासन ने जिले की सभी सीमाओं को सील कर दिया है. लॉकडाउन के बाद अन्य राज्यों व जिलों से मजदूरों के लौटने का सिलसिला लगातार जारी है. कोरोना महामारी के चलते लॉक डाउन के बाद से मजदूरों को काम नही मिलने के चलते सभी मजदूर अपने घर की ओर लौट रहे हैं लेकिन उन्हें अपने राज्यों की सीमा पार करने की इजाजत नही दी जा रही है जिससे उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. दर्जनों मजदूर बच्चों के साथ एमपी और यूपी के बॉर्डर पर स्थित मालथौन टोल प्लाजा पर फंसे हुए हैं. इस लॉक डाउन में छलक उठा इनका दर्द. सुनिये लॉक डाउन में मजदूरों की कहानी मजदूरों की जबानी.
मजदूर मदन लाल ने कहा कोरोना से नहीं भूख से मर जाएंगे
छत्तीसगढ़ से पंजाब जा रहे मजदूर मदन लाल ने अपनी आपबीती सुनाते हुए बताया कि हमको यूपी बॉर्डर से नहीं निकलने दे रहे हैं. पहले बोले कि हार्वेस्टर पर काम कर रहे हो तो हार्वेस्टर से जाओ तो हार्वेस्टर से निकल रहे थे तो फिर बोले नीचे उतर जाओ जाने दिया. दो दिन हो गए हैं यहां पर पड़े हैं. न खाने को कुछ मिल रहा और न पंजाब के लिए यहां से निकलने दे रहे हैं . कोरोना से तो मरेंगे नहीं लेकिन भूख से ज्यादा आदमी मर जायेंगे और हम सभी का मेडिकल भी हुआ है. किसी के पास पर्ची है किसी के पास नहीं है.
मजदूर दिनेश ने कहा हमारी कोई गलती है तो सजा दो नहीं तो जाने दो
हैदराबाद से लौटे मजदूर दिनेश ने अपनी आपबीती सुनाते हुए बताया कि हम 4 लोग अभी यूपी से राठ जाने वाले हैं लेकिन नहीं जाने दे रहे हैं और बोल रहे हैं जहां से आये हो वहीं जाओ तो हमारे लिए साधन करो हम हैदराबाद चले जाते हैं. वहीं मजदूर का कहना है कि हम हैदराबाद चले जाते हैं लेकिन हमारे घर में भी परेशानी है. हम ही कमाने वाले हैं. हम पैदल आ रहे हैं और मोबाइल बेच कर आये हैं. 10-20 किलोमीटर दूर तक के 2-2 सौ रुपए लिए हैं. अगर हमारी कोई गलती है तो सजा दो नही तो जाने दो.
मजदूर अजय महावत ने कहा भूख से मर रहे हैं
मध्यप्रदेश के होशंगाबाद के पिपरिया तहसील से लौटे मजदूर अजय महावत ने अपनी आपबीती सुनाते हुए बताया कि हम पिपरिया तहसील में थे और जो वहां के SDM थे उन्होंने अपनी खुद की गाड़ी से हमें उत्तर प्रदेश भेजा. हम झांसी तक पहुंचे. झांसी के पुलिस प्रशासन भगाते भगाते तालबेहट तक लाये और फिर मालथौन लाये. अब हमारी कोई मदद नहीं कर रहा है. हम अपने घर जाना चाहते है. दो दिन से बच्चों को खाना नहीं दिया और हम भूखे प्यासे मर रहे हैं. यहां की जो पुलिस है हमारी नहीं सुनती. उन्होंने हमारे पिता जी को भी मारा.