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जल संकट के निदान के लिए जल सहेलियों ने बनाया बोरी बांध - lalitpur news

ललितपुर के तालबेहट के बरुआ नदी पुनर्जीवन एवं ग्रीष्म ऋतु में होने वाले जल संकट के निदान के लिए जल सहेलियों ने बोरी बांध बनाया है. इससे न्यूनतम जलस्तर वाली नदी में बड़े पानी के भंडार को सुरक्षित किया जा रहा है.

बोरी बांध
बोरी बांध

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Published : Apr 12, 2021, 1:29 AM IST

ललितपुर :जिले के तालबेहट तहसील के गांव विजयपुरा में इन दिनों सैकड़ों महिलाओं ने बरुआ नदी के जलधारा को रोकने के लिए 8 दिन तक श्रमदान करके एक बड़े पांच हजार बोरी से बांध का निर्माण किया है. इस गांव के बगल से होकर बरुआ नदी बहती है. इसमें इन दिनों कम पानी रहता है. जल सहेलियों ने इस साल हो रहे जल संकट को देखते हुए गांव में संगठन तैयार किया और मिलकर एक बड़े बोरी बांध का निर्माण करके न्यूनतम जलस्तर वाली नदी में बड़े पानी के भंडार को सुरक्षित किया है.

बुंदेलखंड में पानी की किल्लत

इन दिनों बुंदेलखंड में गंभीर जल संकट उत्पन्न हो गया है. कुएं, हैंडपंप और तालाब बिना पानी होते जा रहे हैं. कुंए सूखने के कारण गेहूं की फसल में आखरी पानी नहीं लग पाया है, जिसके कारण गेहूं सूख रहा है. किसान चिंतित है. इस इलाके में भी गेहूं की फसल खराब हो गई थी. ग्रामीणों ने जब यह बात जल सहेली और पानी पंचायत संगठन को बताई. इस पर उन्होंने तय किया कि हम नदी में कितना पानी रोकेंगे. भले ही हमारी रवि की फसल खराब हो गई हो.

बोरी बांध बनातीं जल सहेलियां

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ग्रामीणों के संकल्प को आगे बढ़ा रहा परमार्थ संस्था

इस काम को आगे बढ़ाने का काम परमार्थ संस्था ने किया. परमार्थ संस्था के कार्यकर्ताओं ने ग्रामीणों के इस संकल्प को आगे बढ़ाने में उनके उत्साह को बढ़ाया. गांव की महिलाओं ने पांच हजार से अधिक सीमेंट की खाली बोरियों में बालू और मिट्टी भर के एक बड़े बांध का निर्माण किया है. आज इस बांध के निर्माण होने से नदी के पीछे के हिस्से में एक किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में पानी का भंडारण हो गया है. गांव के मुन्ना सहरिया कहते हैं कि उन्होंने यह काम अपनी जरूरत और नदी के पुनर्जीवन के लिए किया है, लेकिन यह काम इस गांव की जल सहेलियों के सहयोग से ही संपन्न हो पाया है. इस काम को देखने के लिए अगल बगल के लोग भी आ रहे हैं.

बड़े पानी के भंडार को सुरक्षित किया

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इस तरह के प्रयासों की निरंतर आवश्यकता

जल जन जोड़ों अभियान के राष्ट्रीय संयोजक संजय सिंह ने बताया कि बुंदेलखंड में इसी तरह के प्रयासों की निरंतर आवश्यकता है. ऐसे जल भागीरथीयों के सम्मान के लिए सरकार और समाज को आगे आना चाहिए. 8 मार्च को जब पूरी दुनिया में महिला दिवस मनाया जा रहा है. ऐसे अवसर पर कुसुम, शारदा वंशकार, कविता, गुड्डी इन जल सहेलियों के कार्य का जरूर सम्मान करना चाहिए.

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