ललितपुर: कोरोना संक्रमण अब धीरे-धीरे गांवों में समाप्त हो रहा है. रोजगार न होने से गांवों में इन दिनों बड़ी तादात मेें लोग खाली बैठे हैं. इस सन्दर्भ में परमार्थ समाज सेवी संस्थान ने 6 जिलों मेें सर्वे किया है. इसमेें गांवों के मजदूरों के सामने आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है.
'रोजगार के साधन न होने से आजीविका प्रभावित'
परमार्थ समाज सेवी संस्थान के पदाधिकारी डाॅ. संजय सिंह ने कहा कि गांव में रोजगार के साधन ना होने के कारण आजीविका प्रभावित हुई है, जबकि पिछले महीने प्रत्येक परिवार को अपने घर में बीमार लोगों के इलाज पर पैसा खर्च करना पड़ा है. अब उनके पास आर्थिक संकट है क्रय शक्ति प्रभावित हो गई है. ऐसे में उनकों रोजगार की सख्त जरूरत है. गांव में इन दिनों न तो नरेगा में कार्य हो रहा है न ही निजी निर्माण कार्य चल रहे हैं.
1500 रुपये दिए जाने का प्रावधान
परमार्थ संस्था ने इसको देखते हुए बुन्देलखंड के ललितपुर, झांसी, टीकमगढ़, छतरपुर मेें एक सप्ताह के श्रमदान कैम्प आयोजित किए हैं. इसके बदले प्रत्येक परिवार को 1500 रुपये दिए जाने का प्रावधान किया है. ललितपुर जिले के ग्राम बिजरौठा, जमालपुर, राधापुर मेे श्रमदान शिविरों के उद्घाटन पर जल जन जोड़ो अभियान के राष्ट्रीय संयोजक संजय सिंह ने कहा कि जरूरतमंदों को काम उपलब्ध कराना वर्तमान समय की प्राथमिकता होनी चाहिए.
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उन्होंने कहा कि सरकार को भी गांव में जल्द ही मनरेगा आदि के कार्य शुरू कराना चाहिए, जिससे लोगों की आर्थिक तंगी खत्म हो सके. इन दिनों गांव में मजदूरों की क्रय शक्ति पूरी तरह से प्रभावित है, लाॅकडाउन के कारण उनको जरूरत का सामान ऊंची दरों पर खरीदना पड़ रहा है.
'गर्भवती महिलाओं के सामने संकट'
परमार्थ की महिला काॅर्डिनेटर अनुज्ञा राजे ने कहा कि इस बार सबसे अधिक परेशानी महिलाओं के सामने है. उनके घरेलू उपयोग की सामग्री दाल, तेल, चीनी, नमक आदि की उपलब्धता कठिन हो रही है. विशेष तौर से गर्भवती महिलाओं के सामने सबसे अधिक संकट है. गर्भवती महिलाओं के लिए सरकार को तुरंत राहत सामग्री पहुंचाने की आवश्यकता है.