लखीमपुर खीरी: जिला मुख्यालय से 27 किलोमीटर दूर मुस्लिम बहुल गांव सहरूवा के किसानों ने परंपरागत गन्ने की खेती छोड़ कर सब्जी की खेती करना क्या शुरू किया कि पांच साल में उनकी तकदीर ही बदल गई. सब्जी की खेती से एक साल में तीन फसल होने और नकद बिक्री से किसान अब अमीर होने लगे हैं. यह किसान अपनी खेत की सब्जी लखीमपुर, शहजहांनपुर, बहराइच और सीतापुर भी भेजते हैं.
लखीमपुर खीरी: गन्ने की खेती छोड़ सब्जी की खेती कर मिसाल बन रहे युवा किसान - lakhimpur kheri today news
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में युवा किसान परंपरागत गन्ने की खेती को छोड़कर सब्जी की खेती करने लगे हैं. किसानों का कहना है कि गन्ने की फसल पूरे वर्ष में तैयार होती है और फिर पैसे के लिए मिल या व्यापारियों का मुंह देखना पड़ता है, जबकि सब्जी की फसल दो या तीन महीने में तैयार हो जाती है. साथ ही नकद भुगतान भी तुरंत हो जाता है.
युवा किसान बने खेती के मिसाल.
सब्जी की खेती किसानों का एक व्यवसाय
- जिले के मितौली तहसील क्षेत्र के गांव सहरूवा में युवा किसानों नेसब्जी की खेती को एक व्यवसाय का रूप दिया है.
- इस गांव मेंलगभग 800 परिवार रहते हैं, जिसमें दस परसेंट मौर्य परिवार को छोड़कर बाकी मुस्लिम परिवार हैं.
- सहरूवा गांव की परंपरागत खेती धान, गेहूं और गन्ना थी, लेकिन गन्ने का बकाया भुगतान न मिलने से इनकी आर्थिक स्थिति बिगड़ चुकी थी.
- किसानों ने लगभग 5 सालों से सब्जी की खेती शुरू की है.
- खेती में किसान आलू, गोभी, भिंडी, तोरई, पालक, सोया, टमाटर आदि सब्जी की बुवाई करते हैं.
- सब्जी को किसान साप्ताहिक बाजार में भी बेचते हैं, जिससे नकद भुगतान भी तुरंत मिल जाता है
हम लोग एक साल में तीन से चार फसल सब्जी की काट लेते हैं. यह फसल भी नकदी है, जिसको बेचकर बरसात में अपना खर्चा चलाते हैं.
-राहुल, युवा किसान