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सरकारी योजनाओं से वंचित, फिर भी लोगों के लिए नजीर बनी महिला किसान

एक तरफ जहां प्रदेश सरकार ने महिला किसानों के लिए 'महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना' शुरू की है. वहीं दूसरी ओर लखीमपुर खीरी और कौशांबी की महिला किसान अपने मजबूत इरादों से अपनी किस्मत बदल रही हैं, वह भी बिना सरकारी मदद के.

महिला ने बदली अपनी किस्मत.

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Published : Oct 20, 2019, 2:15 AM IST

Updated : Oct 22, 2019, 12:13 AM IST

लखीमपुर खीरीःप्रदेश सरकार ने महिला किसानों की भागीदारी को बढ़ता देख 'महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना' लागू की. सरकार का दावा है कि इस परियोजना के तहत 24 राज्यों की लगभग 36 लाख महिलाओं को फायदा हुआ है. वहीं इस परियोजना का कोई भी असर कौशांबी और लखीमपुर खीरी जिले की महिला किसानों में देखने को नहीं मिल रहा है.

महिला किसान सशक्तिकरण योजना.

जिले की ब्लॉक मितौली की रहने वाली मात्र एक साक्षर उमा देवी ने समूह बनाकर एक नजीर पेश की है. बिना सरकारी सहायता के न सिर्फ उन्होंने अपनी किस्मत बदली बल्कि अपने साथ गांव की अन्य महिलाओं की किस्मत बदल रही है. किसी ने सच ही कहा है कि खुद में जुनून हो तो हर परिस्थिति में इंसान रास्ता खोज ही लेता है. दूसरों के लिए प्रेरणा बन उमा देवी ने साबित किया है कि पंखों में नहीं हौसलो से उड़ान होती है.

कौशांबीःजिले की मंझनपुर तहसील के मेड़ीपुर गांव की रहने शोभा देवी के पति नथन की मौत शादी के तीन साल बाद ही हो गई. पति की मौत के बाद उनके सामने सबसे बड़ा संकट था- अपना और अपने 6 माह के बेटे गोवर्धन के पालन पोषण का. पति की मौत के बाद खुद खेती करनी शुरू कर दी. खेती करके अपना और अपने बेटे का पालन पोषण किया.

शोभा देवी के मुताबिक सबसे बड़ी समस्या पानी को लेकर आती है. नहरों में पानी नहीं होने से निजी नलकूपों से सिचाई करनी पड़ती है. उन्होंने बताया कि इस महंगाई के दौर पर खेती से बड़ी मुश्किल खर्च चल पाता है. जिसके कारण वह अपने बेटे को दसवीं की पढ़ाई के बाद गुजरात कमाने भेज दिया है.

शोभा ही एक ऐसी महिला किसान नहीं हैं बल्कि ऐसी कई महिला किसान हैं, जिनको सरकार की तरफ से कोई भी मदद नहीं मिलती है. फिर भी वह अपना और परिवार का पालन-पोषण कर रही हैं.

Last Updated : Oct 22, 2019, 12:13 AM IST

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