लखीमपुर खीरी: जिले में बाघ अब जंगल में कम और गन्ने के खेतों में ज्यादा नजर आ रहे हैं. ऐसा ही एक बाघ दुधवा टाइगर रिजर्व के जंगल को छोड़ जंगल से 100 किलोमीटर दूर मितौली तहसील के गरगटिया और रामखेड़ा गांव के पास पहुंच गया है. इस इलाके के लोगों में बाघ का खौफ सिर चढ़कर बोल रहा है. आधा दर्जन गांवों की करीब 20 हजार की आबादी बाघ के खौफ में जी रही है. बाघ के खौफ ने लोगों की जिंदगी की रफ्तार पर ब्रेक लगा दिया है.
गरगटिया गांव के पूर्व प्रधान हरिवंश शुक्ला अपने गांव में आबादी के पास आए बाघ की कहानी बता रहे हैं. गांव के पूरब में बाघ ने रात में एक नीलगाय को अपना शिकार बना डाला. नीलगाय चिल्लाती रही, लोग भी शोर मचाते रहे, लेकिन बाघ ने जब तक नीलगाय को मार नहीं लिया तब तक दम नहीं लिया. ईटीवी भारत की टीम ने गन्ने के खेत का मुआयना किया.
गरगटिया गांव में बाघ के आने से आसपास के आधा दर्जन से ज्यादा गांवों के लोग खौफ में जीने को मजबूर हैं. बाघ का खौफ रामखेड़ा, गंगापुर, मुड़िया, ढ़खिया, मदारपुर, परसेहरा, सरेली, डहर आदि गांवों में देखा जा रहा है. बाघ के आने से आसापास के गांवों में गन्ने की छिलाई रुक गई है. लेबर खेतों में गन्ना छिलाई करने को तैयार नहीं हैं. इससे गन्ने के सीजन में लोगों को भारी नुकसान हो रहा है. खेतों में किसानों का जाना भी कम हो गया है.