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मधुमिता हत्याकांड: HC ने दोषी मधुमणि की याचिका पर सरकार से मांगा जवाब - मधुमिता हत्याकांड पर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

मधुमिता हत्याकांड (Madhumita murder case) में आजीवन कारावास की सजा काट रहे यूपी के पूर्व सपा नेता अमरमणि त्रिपाठी (Amarmani Tripathi) और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी ने सजा माफी के लिए नैनीताल हाईकोर्ट (Nainital High Court) में एक याचिका दायर की थी. याचिका पर कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है.

मधुमिता हत्याकांड पर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब.
मधुमिता हत्याकांड पर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब.

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Published : Oct 7, 2021, 4:38 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट (UttraKhanad) ने मधुमिता हत्याकांड (Madhumita murder case) में आजीवन कारावास की सजा काट रहे यूपी के पूर्व सपा नेता अमरमणि त्रिपाठी (Amarmani Tripathi) और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी के मामले में सुनवाई की. कोर्ट ने मामले को सुनने के बाद सरकार को 28 अक्टूबर तक जवाब पेश करने को कहा है.

मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की एकलपीठ में हुई. मामले के अनुसार आज (गुरुवार) अमरमणि त्रिपाठी की पत्नी मधुमणि द्वारा कोर्ट में याचिका दायर कर कहा गया है कि उनको जमानत पर रिहा किया जाये. क्योंकि उनको जेल में रहते हुए सत्रह-अठारह साल से ज्यादा का समय हो गया है. उनका जेल में आचरण हमेशा अच्छा रहा है.

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उन्होंने अपनी सजा माफ करने के लिए गृह सचिव उत्तराखंड व राज्यपाल को मई 2021 से लेकर 22 सितंबर 2021 तक कई बार जेल प्रशासन गोरखपुर के माध्यम से बाकी की सजा माफ करने के लिए पत्राचार किया, लेकिन उत्तराखंड सरकार ने इस मामले में अभी तक कोई सुनवाई नहीं की. जबकि न्यायालय ने इस पर निर्णय लेने को कहा था. लिहाजा उन्हें जमानत पर रिहा किया जाये. सेशन कोर्ट देहरादून ने 2004 में इनको आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. उसके बाद अभियुक्त देहरादून, हरिद्वार व गोरखपुर जेल में रहे.

क्या था मधुमिता शुक्ला हत्याकांड: मूलरूप से लखीमपुर-खीरी की रहने वाली नवोदित कवियत्री मधुमिता शुक्ला की 9 मई 2003 को लखनऊ स्थित पेपर मिल कॉलोनी में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. आरोप तत्कालीन बसपा सरकार में मंत्री रहे अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि पर लगा. मधुमिता हत्या के समय गर्भवती थी. डीएनए टेस्ट में पता चला कि उसके गर्भ में पल रहा बच्चा अमरमणि का था. मधुमिता के परिजनों के अनुरोध पर केस की सुनवाई देहरादून में विशेष जज सीबीआई की अदालत में हुई, जहां दोनों को 24 अक्टूबर 2007 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी.

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