लखीमपुर खीरी: यूपी विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर राजनीति चरम पर है. पार्टियों में दल-बदल का सिलसिला जारी है. वहीं, एशिया की सबसे बड़ी चीनी मिल को अपनी आगोश में समेटे गोला विधानसभा सीट पर चार बार भाजपा, चार बार सपा और चार टर्म कांग्रेस परचम लहरा चुकी है. जंगलों और हरेभरे लहराते गन्ने के खेतों से सुसज्जित गोला सीट 15 विधानसभा चुनाव देख चुकी है. कभी हैदराबाद सीट के नाम से जानी जाने वाली गोला विधानसभा 2012 में नए परिसीमन में गोला सीट बनी. विधानसभा सीट का नाम बदला पर जनता के कमोबेश वही रही. 2017 में बीजेपी ने बरसों बाद गोला विधानसभा पर कब्जा किया था. इस बार बीजेपी क्या गोला का किला बचा पाएगी?
गोला विधानसभा यूं तो मठाधीशों का गढ़ रही. जो माननीय इस सीट से जीता कई-कई बार जीता. भाजपा और जनसंघ की जीत का इतिहास इस सीट पर रहा है. एक बार जनसंघ और चार बार भाजपा गोला सीट पर परचम लहरा चुकी है. कांग्रेस अकेले इस सीट पर पांच बार जीत कर विधानसभा पहुंची. वहीं, समाजवादी पार्टी भी चार बार इस सीट पर कब्जा कर चुकी.
कांग्रेस के जमाने में लगी बजाज की चीनी मिल यहां किसानों को आर्थिक रूप से समृद्ध बनाती रही है. यही कारण रहा कि कांग्रेस पांच बार इस सीट से जीती. वहीं, समाजवादी पार्टी की सरकार में लगी दो और चीनी मिलों कुम्भी और गुलरिया ने गोला विधानसभा के किसानों और जनता को रोजगार से जोड़ा और विकास को पंख लगाए.
सबसे ज्यादा बार जीती कांग्रेस
गोला विधानसभा में सबसे ज्यादा बार जीतने का रेकॉर्ड कांग्रेस के नाम दर्ज हैं. वहीं, बसपा गोला सीट पर अभी खाता तक नहीं खोल पाई. वहीं भाजपा और जनसंघ को जोड़ दिया जाए तो चार बार भाजपा और एकबार जनसंघ ने जीत दर्ज की. समाजवादी पार्टी ने भी मंडल-कमंडल के बाद चार बार गोला सीट पर जीत दर्ज की है. एक बार जनता पार्टी भी गोला सीट पर जीती है.
गोला सीट ने दिया यूपी को मंत्री भी