लखीमपुर खीरी: जिले में बुधवार को एक बाघ को शिकारियों के फंदे ने मौत के घाट उतार दिया. बाघ की मौत की पुष्टि डीएफओ साउथ खीरी समीर कुमार ने की. वहीं फंदे में फंसकर बाघ की मौत ने वन विभाग और बाघ सुरक्षा में लगी एजेंसियों परसवाल उठा दिए हैं. डीएफओ का कहना है कि अभी इसकी जांच की जा रही है कि फंदा शिकारियों ने या गांव वालों ने लगाया था.
दरअसल बुधवार सुबह खबर मिली कि महेशपुर रेंज के कंपार्टमेंट नंबर 10 में एक बाघ जंगल के अंदर तड़प रहा है. वन विभाग के वाचर और फील्ड स्टाफ ने मौके पर जाकर देखा तो बाघ फंंदे में फंसा हुआ था. बाघ की दहाड़ सुनकर किसी की हिम्मत नहीं हुई कि वह उसके पास जा सकें. वाचर और फॉरेस्ट स्टाफ ने उच्चाधिकारियों को इसकी खबर दी. इसके बाद लखनऊ से ट्रेंकुलाइजिंग टीम को बुलाया गया, लेकिन ट्रेंकुलाइजिंग टीम के आते-आते इतनी देर हो गई कि फंदे में फंसे होने के कारण बाघ घंटों तड़पता रहा.
बाघ के शव को ले जाते वन विभाग के लोग. बाघ के फंदे में फंसे होने की खबर जंगल के आसपास के इलाकों में आग की तरह फैल गई. खबर लगते ही गांव वालों की भारी भीड़ उमर पड़ी. वन विभाग की टीम और लखनऊ से आई ट्रेंकुलाइजिंग टीम ने बाघ को रेस्क्यू कर रेंज के अंदर ले आई, लेकिन तब तक बाघ ने दम तोड़ दिया था. डीएफओ साउथ खीरी समीर कुमार ने बाघ की मौत की पुष्टि की. उन्होंने बताया कि हमने बाघको बचाने का काफी प्रयास किया, लेकिन हम विफल रहे.
समीर कुमार ने बताया कि जंगल के किनारे किसी ने तार लगा रखा था, जिसमें बाघ फंस गया. हम पूरे इलाके में शर्च ऑपरेशन कर घटना की जांच कर रहे हैं. घटना जंगल के किनारे की है. इस वजह से यह भी देखा जा रहा है कि फंदा शिकारियों ने या गांव वालों ने लगाया था. इधर वाइल्ड लाइफ कंजर्वेशनिस्टों ने बाघ की मौत को वन विभाग की लापरवाही बताया. डॉ. वीपी सिंह ने कहा कि वन्यजीव और मानव संघर्ष का ये नतीजा है. उन्होंने कहा कि विभाग को और अलर्ट रहकर जंगल किनारे के लोगों को बाघों के महत्व को समझाने की जरूरत है.