लखनऊ: उच्चतम न्यायालय लखीमपुर खीरी में तीन अक्टूबर को हुई हिंसा से जुड़े मामले पर सोमवार को सुनवाई करेगा. उस घटना में चार किसानों समेत आठ लोग मारे गए थे. प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ उस मामले पर सुनवाई करेगी, जिसमें 26 अक्टूबर को न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को लखीमपुर खीरी हिंसा मामले के गवाहों को संरक्षण प्रदान करने का निर्देश दिया था.
न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को मामले के अन्य गवाहों के बयान दण्ड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 164 के तहत दर्ज करने का भी निर्देश दिया था और डिजिटल साक्ष्यों की विशेषज्ञों द्वारा जल्द जांच कराने को कहा था. शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को एक पत्रकार की और श्याम सुंदर नामक एक व्यक्ति की भीड़ द्वारा कथित तौर पर पीट-पीटकर हत्या के मामले में स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था.
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दो अधिवक्ताओं ने प्रधान न्यायाधीश को पत्र लिखकर लखीमपुर खीरी मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की थी. इसी पृष्ठभूमि में न्यायालय मामले की सुनवाई कर रहा है. राज्य सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता ने 26 अक्टूबर को पीठ को बताया था, 68 गवाहों में से 30 के बयान सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज किए जा चुके हैं और अन्य कुछ के बयान भी दर्ज किए जाएंगे. इन 30 गवाहों में से 23 ने चश्मदीद होने का दावा किया है.
बता दें कि लखीमपुर में हुई हिंसा के मुख्य आरोपी और गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्रा लखीमपुर हिंसा के आरोप में जेल में हैं. दरअसल, जिला मुख्यालय से करीब 75 किलोमीट दूर तिकुनिया गांव में हुई हिंसा और आगजनी में आठ लोगों की मौत हो गई थी. इनमें चार किसान और चार अन्य लोग शामिल थे. चार अन्य लोगों में दो बीजेपी कार्यकर्ता और दो ड्राइवर हैं. इनके अलावा 12 से 15 लोग घायल भी हुए थे.