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लखीमपुर खीरी: शारदा के उफान से कटा बांध, खतरे में ये गांव - lakhimpur kheri news

यूपी के लखीमपुर खीरी जिले में शारदा नदी के जलस्तर से तटीय बंधे का कटान शुरू हो गया है. हालांकि सिंचाई विभाग बंधे के आसपास बैम्बू क्रेट और बोरियों में ईंट भरकर कटान रोकने के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं.

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शारदा नदी के बहाव से बांध टूटा.

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Published : Aug 9, 2020, 12:45 PM IST

लखीमपुर खीरी: लखीमपुर खीरी जिले में शारदा नदी के जलस्तर में गिरावट दर्ज की गई है, लेकिन शारदा नदी की तेज धार से तटबंधों का कटान शुरू हो गया है. पलिया तहसील के जंगल नंबर सात के पास स्थित गांव जगन्नाथ टांडा को शारदा नदी ने अपने निशाने पर ले लिया है. यहां दो साल पहले बनाए गए सिंचाई विभाग के बांध को शारदा नदी की तेज धारा ने काट दिया है. ऐसे में नदी तेजी से गांव की तरफ बढ़ रही है. बांध कटने से सिंचाई विभाग में हड़कंप मच हुआ है. वहीं डीएम शैलेन्द्र कुमार सिंह ने सिंचाई विभाग की टीमों को फ्लड फाइटिंग के निर्देश दिए हैं.

डीएम ने सिंचाई विभाग की टीमों को फ्लड फाइटिंग के निर्देश दिए हैं.
पलिया तहसील के जंगल नम्बर सात गांव को 2018 में शारदा नदी ने तबाह कर दिया था. अब इस साल शारदा नदी ने जगन्नाथ टांडा गांव के बाहर बने बंधे को अपना निशाना बनाया है. बाढ़ के बाद कम हुए पानी से शारदा की धार अचानक उत्तर की तरफ से मुड़कर सीधे गांव की तरफ आ गई. इससे जगन्नाथ टांडा, प्रताप टांडा गांव के लिए खतरा उत्पन्न हो गया है. बांध से सटे प्रताप टांडा निवासी राजेन्द्र सिंह की ढाई एकड़ गन्ने की खड़ी फसल नदी के बहाव से तबाह हो गई है. नदी के कहर से किसान राजेन्द्र सिंह के परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है. लॉकडाउन में एक-एक पैसे को तरस रहे राजेन्द्र सिंह की अभी तक तहसील प्रसाशन ने कोई मदद नहीं की है. शारदा नदी से बढ़ते खतरे को भांपते हुए सिंचाई विभाग अलर्ट हो गया है. सिंचाई विभाग ने मौके पर बैम्बू क्रेट और बोरियों में ईंट भरकर कटान रोकने के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं. कटान रोकने को परकुपाइन क्रेट भी लगाई जा रही है. नदी तेजी से कटान करते हुए जगन्नाथ तंडा गांव की तरफ आगे बढ़ रही है.

डीएम शैलेन्द्र कुमार सिंह ने सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता और बाढ़ खण्ड को कटान रोकने के उपाय करने के निर्देश दिए हैं. वहीं गांव वालों का आरोप है कि सिंचाई विभाग पीली ईंटें बोरियों में भरकर नदी को रोकने का प्रयास कर रहा है, जो नाकाफी है. नदी की तेज धार और कटान रोकने को ठोस रणनीति और स्थायी काम की जरूरत है. वरना जगन्नाथ टांडा गांव को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है.

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