लखीमपुर खीरी:यूपी के दुधवा टाइगर रिजर्व में नेपाल से आए घुमंतू जंगली हाथियों को दुधवा की सरजमीं से ऐसी मोहब्बत हो गई है कि हाथियों का पूरा कुनबा दुधवा का होकर रह गया है. नेपाली हाथियों में से कोई भी हाथी दुधवा से जाने को राजी नहीं हो रहे हैं. लगभग 50 से 60 हाथियों का परिवार अब दुधवा में ही विचरण कर रहा है.
हाथियोंको भा गईदुधवा की सरजमीं. दुधवा टाइगर रिजर्वमें आएहाथी
- दुधवा टाइगर रिजर्व नेपाल की सीमा से लगा हुआ है.
- 1996 में इंडियन हाथी को संकटग्रस्त प्रजाति में डाल दिया गया.
- नेपाल के हाथी अक्सर दुधवा से उत्तराखंड के यूपी कार्बेट टाइगर रिजर्व तक आते-जाते रहते हैं.
- तराई का यह कारीडोर हाथियों का पुराना रास्ता रहा है.
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हाथियों के व्यवहार में हो रहा बदलाव
- इन हाथियों की खास बात यह है कि यह न केवल दुधवा में रहते हैं, बल्कि ब्रीडिंग भी कर रहे है.
- हाथियों को यहां आवास और खाने-पीने की प्रचुर मात्रा उपलब्धता रहती है, जिससे वह यहीं आकर रहते हैं.
- कतर्निया घाट से लेकर पीलीभीत टाइगर रिजर्व और कभी-कभी यह उत्तराखंड के राजाजी नेशनल पार्क तक निकल जाते है.
- देश में 20 हजार से ज्यादा जंगली हाथी शिकार के अलावा मनुष्यों से संघर्ष, बिजली के करंट से मौत के मुंह में समा जाते हैं.
- वाइल्ड लाइफ के जानकार कहते हैं कि हाथियों को इंटरनेशनल शिकारियों से भी खतरा रहता है.