उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

आज ही के दिन नसीरुद्दीन ने की थी अंग्रेज कलेक्टर विलोबी की हत्या - नसीरुद्दीन ने की थी विलोबी की हत्या

प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में हार मिलने के बाद भी खीरी जिले में क्रांति की ज्चाला बुझी नहीं. 26 अगस्त 1920 को बकरीद के दिन खिलाफत आंदोलन से प्रेरित होकर क्रांतिकारी नसीरुद्दीन मौजी ने अपने दो साथियों के साथ तत्कालीन आईसीएस अफसर आर.डब्लू.डी. विलोबी की हत्या कर दी.

कांतिकारियों ने की थी अंगेज कलेक्टर विलोबी की हत्या.

By

Published : Aug 26, 2019, 2:03 PM IST

Updated : Aug 26, 2019, 3:59 PM IST

लखीमपुर खीरी:देश में अंग्रेजों के खिलाफ आजादी का बिगुल गांधीजी फूंक चुके थे, लेकिन अहिंसावादी तरीके से. उसी वक्त 1920 में खिलाफत मूवमेंट ने भी देश में जोर पकड़ लिया था. तुर्की के खलीफा की हत्या और प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद हर तरफ साम्राज्य को कब्जाने की होड़ लगी हुई थी. तुर्की के खलीफा का पद जाने से विश्व भर के मुसलमानों में काफी रोष था. हिंदुस्तान में भी अंग्रेजों के खिलाफ मुसलमानों में काफी गुस्सा था.

क्रांतिकारियों ने की थी अंग्रेज कलेक्टर विलोबी की हत्या.


प्रदेश में खिलाफत आंदोलन की बागडोर लखनऊ के अली बंधुओं के हाथ में थी. उन्होंने मुसलमानों को अंग्रेजों के खिलाफ खड़े होने के लिए प्रेरित किया. देश में पहले से ही गांधीजी ने अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा बुलंद कर रखा था. जगह-जगह प्रदर्शन हो रहे थे. अंग्रेजी वस्तुओं का बहिष्कार जारी था. इधर खिलाफत आंदोलन ने भी जोर पकड़ रखा था. गांधी कभी हिंसा की राजनीति नहीं करते थे पर उन्होंने भी अंग्रेजों के खिलाफ खिलाफत आंदोलन को मूक सहमति दे दी थी. खीरी में भी खिलाफत आंदोलन की आग दर्जी गीरी करने वाले नसीरुद्दीन, माशूक अली और बशीर के दिलों में धधक उठी. तीनों ने खीरी के अंग्रेज कलेक्टर को निशाना बनाया का फैसला लिया.


तलवार से हमला कर विलोबी को उतारा मौत के घाट­-
26 अगस्त 1920 को बकरीद का दिन था. प्लान के तहत इस दिन नसीरुद्दीन, बशीर और माशूक अली गठरियों में तलवारे रखकर अंग्रेज कलेक्टर के बंगले पर पहुंचे. आर.डब्ल्यू.डी. विलोबी उस वक्त कमरे में कुछ लिखा पढ़ी कर रहे थे. नसीरुद्दीन ने देखा कि चपरासी कोने में बैठा था. दीवार फांद कर नसीरुद्दीन, बशीर और माशूक विलोबी के बंगले (जो आज शहपुरा कोठी है) में दाखिल हो गए.

पढ़ें:- चंद्रशेखर आजाद जयंती: इस युवा को सेंट्रल जेल में लगाए गए थे 15 कोड़े

नसीरुद्दीन ने विलोबी को ललकारा और तलवार से उन पर वार किया. पहला वार ठीक से नहीं लगा. विलोबी कुर्सी से उठकर भागे. नसीरुद्दीन ने उनका पीछा किया, जिससे वह बरामदे में गिर पड़े. नसीरुद्दीन ने ताबड़तोड़ तलवारों से हमलाकर विलोबी को मौत के घाट उतार डाला.


विलोबी की मौत से अंग्रेजी हुकूमत में हड़कंप-
अंग्रेज कलेक्टर की मौत के बाद अंग्रेजी हुकूमत में हड़कंप मच गया. बात खीरी से इंग्लैंड तक पहुंच गई. नसीरुद्दीन, माशूक अली और बशीर की तलाश में अंग्रेज अफसर घूमने लगे. मामले में नसीरुद्दीन और और बशीर को 26 अगस्त को ही कुछ घंटों के बाद गिरफ्तार कर लिया गया. वहीं उनके साथी माशूक अली को 30 अगस्त को लखनऊ से गिरफ्तार किया गया. ताजिराते हिंद दफा 302 के तहत तीनों पर मुकदमा दर्ज हुआ. तीनों को सीतापुर अदालत में जज के सामने पेश किया गया. तीनों ने जुर्म इकबाल कर लिया.


अगले ही महीने यानी 28 सितंबर 1920 को नसीरुद्दीन और बशीर को फांसी की सजा सुनाई गई. माशूक अली को छह अक्टूबर 1920 को सत्र न्यायालय सीतापुर ने फांसी की सजा सुनाई. जुडिशल कमिश्नर अवध ने तीनों की फांसी की पुष्टि की. 25 नवंबर 1920 को नसीरुद्दीन, बशीर और माशूक अली को फांसी दे दी गई.


अंग्रेजों ने अपने आईसीएस अफसर आर.डब्लू.डी विलोबी की याद में लखीमपुर में विलोबी हाल का निर्माण कराया. इसमें आज एक लाइब्रेरी चलती है. वहीं नसीरुद्दीन की कब्र आज खीरी की जिला जेल में मौजूद है.

Last Updated : Aug 26, 2019, 3:59 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details