लखीमपुर खीरी: उत्तराखंड सुरंग हादसे में के एक हिस्से के ढहने से उसके अंदर 41 श्रमिकों फंसे हुए हैं. श्रमिकों को बचाने के लिए युद्ध स्तर पर बचाव अभियान जारी है. हादसे के 10वें दिन भी रेस्क्यू ऑपरेशन किया जा रहा है. इस सुरंग हादसे में लखीमपुर खीरी के श्रमिक मंजीत चौधरी भी फंसे हुए हैं. उनके परिजन पूजा-अर्चना कर घर वापसी का इंतजार कर रहे हैं. इसके लिए परिजनों ने हवन-पूजन आयोजित किए हैं.
उत्तराखंड सुरंग हादसे में फंसे लखीमपुर खीरी के मंजीत चौधरी की मां ने बताया कि "मेरे नसीब को भगवान ने पता नहीं किस कलम से लिखा था, मेरा बड़ा बेटा मुंबई में एक साल पहले मजदूरी करने गया था. वहां पर उसकी मौत हो गई थी, अब दूसरा बेटा मंजीत परिवार की जिम्मेदारियां उठा रहा था, तो वह भी 10 दिन से उत्तरकाशी की टनल गुफा में फंसा हुआ है". बता दें कि मंजीत के पिता दोनों आंखों से अंधे हैं, परिवार को अब कोई भी देखने वाला नहीं है.
लखीमपुर खीरी के भैरमपुर मांझा का रहने वाला मंजीत चौधरी अपने परिवार के पालन पोषण के लिए परदेश में पैसा कमाने गया था. मंजीत की मां चौधराईन ने बताया कि ठपड़ोसी गांव के थारु लोगों के साथ मंजीत रक्षाबंधन के त्यौहार में अपनी बहन से राखी बंधवाकर दूसरे दिन घर से उत्तरकाशी पैसा कमाने के लिए गया था. परिवार को शायद यह नहीं पता था कि मंजीत भाई दूज का त्यौहार अपने घर पर नहीं कर पाएगा. मंजीत की बहन इंतजार करती रही. मंजीत की मां ने बताया कि बड़े बेटे की मौत अभी तक परिवार भूल नहीं पाया है, अब मंजीत की खबर सुनते ही परिवार पर जैसे पहाड़ टूट पड़ा है. मंजीत के बारे में सिर्फ फोन पर देख रहे हैं, उन्हें कोई भी जानकारी नहीं दी जा रही है. मंजीत की मां और बहन उसकी घर वापसी के लिए दिन-रात पूजा-अर्चना कर दुआ कर रही हैं, टनल में फंसे मंजित के परिवार का कोई भी अधिकारी सुध नहीं लेने आया है.