लखीमपुर खीरीःलोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियों में जुटी समाजवादी पार्टी को उत्तर प्रदेश में एक तगड़ा झटका लगा है. सपा के राष्ट्रीय महासचिव और खीरी लोकसभा सीट से तीन बार सांसद रह चुके रवि प्रकाश वर्मा कांग्रेस पार्टी का हाथ थामने जा रहे हैं. जानकारी के मुताबिक पूर्व सांसद आगामी 6 नवंबर को लखनऊ में कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ग्रहण करेंगे.
रवि प्रकाश वर्मा का इस्तीफा पूर्व सांसद की बेटी ने बताया
माना जा रहा कि रवि प्रकाश वर्मा के कांग्रेस में जाने से समाजवादी पार्टी और कांग्रेस में लोकसभा चुनाव 2024 से पहले बने "इंडिया अलायंस" पर भी असर पड़ सकता है. रवि प्रकाश वर्मा समाजवादी पार्टी क्यों छोड़ रहे हैं, इसको लेकर अभी उन्होंने कोई खुलासा नहीं किया है. लेकिन उनकी बेटी पूर्वी वर्मा ने कहा कि 6 नवंबर को सब पता चल जाएगा.
खीरी लोकसभा सीट से तीन बार सांसद और एक बार राज्यसभा सांसद रहे रवि वर्मा. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहेंगे मौजूद
कांग्रेस के लखीमपुर खीरी जिलाध्यक्ष प्रह्लाद पटेल ने बताया कि 'काँग्रेस उनका पुराना घर था. पूर्व सांसद की घर वापसी हो रही है. उन्हें गर्व है कि एक एक ईमानदार और निष्ठावान नेता कांग्रेस पार्टी में शामिल हो रहा है. प्रह्लाद पटेल के मुताबिक 6 नवंबर को लखनऊ में वह कांग्रेस पार्टी में शामिल होंगे. उनके कांग्रेस पार्टी में शामिल होने के दौरान प्रियंका गांधी की प्रतिनिधि नरवाल और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय समेत अन्य नेता मौजूद रहेंगे.
खीरी लोकसभा सीट रहे हैं कई बार सांसद
खीरी लोकसभा सीट से रवि वर्मा तीन बार सांसद रह चुके हैं. इसके साथ ही समाजवादी पार्टी से एक बार राज्यसभा सांसद भी रह चुके हैं. कभी काग्रेसी परिवार के रहे रवि प्रकाश वर्मा की माता उषा वर्मा और पिता बाल गोविन्द वर्मा भी कांग्रेस पार्टी से कई बार सांसद रह चुके हैं. रवि प्रकाश वर्मा 2009 में कांग्रेस के जफर अली नकवी से हार गए थे. तब से उनकी राजनीति की गाड़ी थोड़ी धीमी चाल में चल रही थी. 2014 में रवि प्रकाश वर्मा फिर मोदी लहर में हार गए. हालांकि समाजवादी पार्टी ने 2019 में रवि प्रकाश वर्मा की बेटी पूर्वी वर्मा को समाजवादी पार्टी से टिकट देकर खीरी लोकसभा सीट पर चुनाव लड़वाया. लेकिन मोदी लहर में पूर्वी वर्मा भी भाजपा के अजय मिश्र टेनी से हार गई थीं.
ओबीसी को अपने पक्ष में करने की कांग्रेस की रणनीति
राजनैतिक पंडितों का मानना है कि कांग्रेस पार्टी द्वारा ओबीसी को अपने पक्ष में करने की ये बड़ी रणनीति है. राहुल गांधी बिहार से उठी ओबीसी जनगणना की मांग को पुरजोर तरीके से उठा रहे हैं. राहुल गांधी मोदी सरकार पर बराबर हमलावर हैं. ऐसे में कुर्मी बाहुल्य खीरी लोकसभा सीट से एक बड़े कुर्मी चेहरे को कांग्रेस आगे लाना चाहती है. उत्तर प्रदेश में कुर्मी वोटर बड़ी तादात में है. जो ज्यादातर पिछले दो लोकसभा चुनावों से भाजपा के साथ हैं. ऐसे में रवि वर्मा को कांग्रेस पार्टी में शामिल करना चाहती है. इससे खीरी समेत आसपास की तमाम कुर्मी बाहुल्य सीटों पर कांग्रेस को बढ़त मिल सकने की कवायद के रूप में देखा जा रहा.
कालेज के प्रोफेसर ने बताया
युवराजदत्त पीजी कालेज के प्रोफेसर संजय कुमार ने बताया कि,"कांग्रेस मोदी को हटाने के लिए उन्हीं के तरकश के बाणों को उन्हीं के अंदाज में चलाने की रणनीति बना रही है. पिछले दो लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने ओबीसी वोटर को बड़ी चतुराई से अपनी ओर खींचने में कामयाबी हासिल की है. किसान बिरादरी की कुर्मी जाति भाजपा के खिलाफ 'एंटी इनकंबेंसी' की भी एक टैक्टिस हो सकती है"
आजादी के बाद से ही कांग्रेस से जुड़ा है परिवार
पूर्व सांसद रवि प्रकाश वर्मा का परिवार कांग्रेस से आजादी के बाद यानि 1962 से ही जुड़ा है. बाल गोविंद वर्मा उनके पिता थे. उन्होंने 1962 से लेकर 1971 तक कांग्रेस के टिकट पर खीरी लोकसभा सीट से परचम लहराया था. 1980 में भी बाल गोविंद वर्मा सांसद चुने गए. लेकिन कुछ दिन बाद उनकी बीमारी के चलते निधन हो गया था. उपचुनाव हुआ और कांग्रेस की लहर में उनकी पत्नी उषा वर्मा चुनाव जीत गई. उसके बाद रवि प्रकाश वर्मा की मां उषा वर्मा 1984 और 1989 तक कांग्रेस की सांसद रहीं.
मुलायम सिंह यादव के थे थिंक टैंक
मंडल कमंडल और राममंदिर आंदोलन के आते ही यूपी से कांग्रेस की पकड़ ढीली होती गई. ऊषा वर्मा के पुत्र रवि प्रकाश वर्मा ने समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया. रवि प्रकाश वर्मा मुलायम सिंह यादव के थिंक टैंक माने जाते थे. पढ़े लिखे और काबिल सांसदों में लोकसभा में उनकी गिनती होती थी. यूपी में टिकट बंटवारे हो या समाजवादी पार्टी की कोई बौद्धिक रणनीति बननी हो रवि प्रकाश वर्मा मुलायम सिंह यादव के साथ रहते थे. इसी लिए अखिलेश यादव भी रवि प्रकाश वर्मा का काफी सम्मान करते थे. यही वजह है कि लोकसभा चुनाव 2014 हारने के बाद भी समाजवादी पार्टी से रवि वर्मा को राज्यसभा भेजा गया. 2020 तक रवि वर्मा राज्यसभा सदस्य रहे. लेकिन पिछले कुछ सालों से अखिलेश और रवि प्रकाश वर्मा में कुछ अनबन चल रही थी. जिसकी वजह से समाजवादी पार्टी ने लोकसभा चुनावों का शंखनाद तो खीरी जिले के देवकली मंदिर के पास से किया. लेकिन उसमें रवि वर्मा को बड़ा मनाकर बुलाया गया. उसके बाद लगातार सपा से रवि वर्मा की दूरी बनी हुई थी.
इंडिया अलायंस में न आ जाए दरार
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पार्टी खुलेआम सामने आ चुकी है. ऐसे में अखिलेश यादव ने कांग्रेस पर तमाम गंभीर आरोप लगाए. इस दौरान उन्होंने कांग्रेस के स्टार नेताओं को 'चिरकुट' नेताओं तक की संज्ञा दे दी. इधर बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने भी मंच से बिहार में एक कार्यक्रम के दौरान कांग्रेस पर इंडिया एलाइंस को लेकर संजीदगी ना दिखाने को लेकर तंज कसा है. नीतीश कुमार ने कहा कि 'कांग्रेस 5 राज्यों के चुनाव में व्यस्त है. जब वह खाली होगी, तब इंडिया एयरलाइंस पर विचार करेगी'. इन सब वक्तव्य को लेकर अब यूपी में समाजवादी पार्टी राष्ट्रीय महासचिव रहे रवि प्रकाश वर्मा के बड़े चेहरे के कांग्रेस में शामिल होने की बात को लेकर इंडिया अलायंस में दरार और चौड़ी हो सकती है.
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