लखीमपुर खीरी:लखीमपुर खीरी (Lakhimpur Violence) तिकुनिया हिंसा मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के बेटे आशीष मिश्र समेत तीन आरोपियों की जमानत पर बहस पूरी हो गई है. जिला जज की अदालत में बचाव पक्ष ने आशीष के मौका ए वारदात पर उपस्थित न होने के तमाम तर्क और दलीले दीं. जज ने रिकॉर्ड करीब डेढ़ घंटे से ज्यादा बचाव पक्ष को उनके तर्क देने और दलीलों देने का मौका दिया.
अभियोजन की तरफ से डीजीसी से केस डायरी फोरेंसिक रिपोर्ट, बैलिस्टिक रिपोर्ट पेश कर बचाव पक्ष की दलीलों को काटा. अभियोजन ने तमाम सुबूत मंत्री पुत्र आशीष मिश्रा के मौका ए वारदात पर होने के पेश किए. उधर दो और आरोपी आशीष पाण्डेय और लवकुश राना की जमानत पर भी बचाव ने अपनी दलीलें दीं. जिला जज मुकेश मिश्रा ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद मुख्य आरोपी आशीष, साथी आशीष पाण्डेय, लवकुश राना की जमानत खारिज कर दी. डीजीसी अरविंद त्रिपाठी ने बताया कि अदालत में अभियोजन के ठोस साक्ष्यों के चलते बचाव की दलीलें काम नहीं आईं.
आज 11 बजे जिला जज की अदालत में सुनवाई शुरू हुई. आशीष मिश्रा की जमानत पर ही करीब पौने दो घंटे जिला जज ने बचाव की दलीलें सुनीं. बचाव पक्ष ने कहा कि आशीष मिश्रा मौके पर नहीं थे वो 11 बजे से शाम पांच बजे तक दंगल में ही थे. इसके अलावा भी बचाव पक्ष ने किसानों पर ही कानून तोड़ने और सड़क जाम करने के आरोप लगाकर कहा कि किसान खुद क्रिमिनल एक्ट कर रहे थे, तो उनका मुवक्किल दोषी कैसे?
डीजीसी अरविंद त्रिपाठी ने बचाव पक्ष की दलीलों को अपने तर्कों से काटा. उन्होंने कहा कि हमने 60 गवाहों की एक लंबी लिस्ट जज को सौंपी है. इसमें प्रत्यक्षदर्शियों ने आशीष मिश्रा मोनू को मौका ए वारदात पर देखा. गोली चलाते भी देखा. ऐसे में आशीष सहित अन्य आरोपियों को जमानत नहीं दी जानी चाहिए.
जिला जज मुकेश मिश्रा ने इत्मीनान से पूरी बहस सुनी. बचाव को मौके दिए. हाईकोर्ट के वकील सलिल श्रीवास्तव बचाव पक्ष की तरफ से पैरवी करने आए थे. इसके अलावा अवधेश दुबे, अवधेश सिंह, चंद्रमोहन सिंह, शैलेन्द्र सिंह गौड़ आदि वकीलों ने बचाव की तरफ से पैरवी की. जिला जज मुकेश मिश्रा ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद मुख्य आरोपी आशीष समेत तीनों आरोपियों की जमानत खारिज कर दी.