लखीमपुर खीरी :यूपी के लखीमपुर खीरी जिला मुख्यालय से करीब 28 किलोमीटर दूर अहिराना गांव में मोदी ने अपना ही घर उजाड़ दिया. हाथ में हथौड़ा लिए अपने खून पसीने की कमाई से बनवाए मकान की दीवारों पर घन चलाते रहे. कड़कड़ाती धूप और गर्मी से बेहाल मोदी बार-बार पसीना पोछते.
उधर, शारदा की धार समुद्र की तरह उफान मार रही थी. इसी बीच लहर आती है और छपाक से एक जमीन का बड़ा टुकड़ा नदी की धार में बहा ले जाती है. नदी किनारे बने मोदी का मकान भी अब नदी की धार से कुछ ही दूरी पर है. ऐसे में मोदी एक-एक ईंट निकालकर सहेजते हैं.
इस आस में कि कहीं सिर छिपाने के लिए जगह मिली तो इन्हीं पुरानी ईंटों और मलबों से छोटा ही सही पर एक आशियाना तो बना लेंगे. घन चला रहे मोदी कहते हैं, 'हथौड़ा दीवार पर नहीं हमारी छाती पर चल रहा. समझ नहीं आ रहा कहां जाएं. नदी जमीन पहले ही लील गई थी. अब घर मकान भी जा रहा'.
खीरी जिला मुख्यालय से अहिराना गांव करीब 28 किलोमीटर है. यहां जाने के लिए पहले मीलपुरवा और फिर शारदा नदी के बंधे में बसे गुम, पिपरा होते हुए आना पड़ता है. करीब दर्जन भर गांव बंधे के अंदर बसे हैं. अहिराना गांव सदर लखीमपुर और निघासन तहसील की सीमा पर पड़ता है. जिस जगह शारदा नदी इन दिनों कटान कर रही है, वो जगह निघासन तहसील में पड़ती है. वहीं, आधा गांव अब सदर तहसील की सीमा में आता है.
गांव में घुसते ही दूर से ठक-ठक की आवाजें सुनाई देने लगतीं हैं. पास जाने पर नदी की धार में आधे झुके मकान और तबाही के निशान दिखने लगते हैं. घनों और हथौड़ों की आवाजों से शारदा नदी की धार की कल-कल करती आवाज एकाएक करकश हो उठती है. अहिराना गांव में मोदी ही नहीं, मंगल रामाशीष, अवधेश और मोहन के घर भी कटान के मुहाने पर हैं. दो घर तो मंगलवार को नदी में पहले ही जमींदोज हो चुके हैं.
घर की छत पर चढ़े अवधेश भी हमें देख रुक जाते हैं. अंगौछे से पसीना पोंछते हुए कहते हैं कि हमारी तहसील नदी पार है. कोई हाल पूंछने भी नहीं आ रहा. एक तो महंगाई बेरोजगारी से काम तक नहीं मिल रहा, अब घर भी उजड़ गया. यह सोच कलेजा बैठा जा रहा है. थोड़ा रुककर फिर दो हथौड़े छत के लिंटर पर मारते हैं और मायूस होकर बैठ जाते हैं. वे कहते हैं, 'इस भीषण गर्मी में बच्चों को क्या खिलाएंगे परिवार कैसे जिताएंगे'?
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