कुशीनगर:स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका का निर्वहन करने वाले कुशीनगर जिले के स्व.राधे कोइरी को वैसे तो जिले में सभी जानते हैं, लेकिन आज भी उनका परिवार झोपड़ी में रहने को मजबूर है. परिवार को सरकारी सुविधा भी नहीं मिल रही है. स्थानीय प्रशासन से कई बार परिजनों ने रहने के लिये घर की गुहार लगाई. लेकिन अब तक प्रशासन ने उनकी कोई मदद नहीं की है. हाईकोर्ट के आदेशानुसार बेटे के साथ ही बेटी के बच्चे भी अब स्वतंत्रता सेनानी के मृतक आश्रित कोटे के हकदार हैं.
झोपड़ी में बसर कर रहा है स्वतंत्रता सेनानी का परिवार-
कुशीनगर जिले के मुख्यालय पडरौना से महज सात किमी. दूर सिधुआ के पास जंगल बनबीरपुर गांव है. वीर स्वतंत्रता संग्राम में सिपाही राधे कोइरी के नाम से ज्यादा जाना जाता है. गरीबी के बावजूद राधे कोइरी के सिर पर अपने देश को आज़ाद कराने का जज्बा सवार रहता था. वह उस लड़ाई में अपना किरदार स्वयं तय किया करते थे. शायद यही कारण था कि उनके साथी उन्हें कप्तान कहकर बुलाया करते थे, लेकिन आज व्यवस्था का आलम यह है कि प्रशासन से किसी तरह की मदद न मिलने पर इस वीर सेनानी का परिवार झोपड़ी में रहने को मजबूर है.
ताम्र पत्र से सम्मानित स्व. राधे कोइरी-
सन् 1972 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गांधी ने सिपाही राधे कोइरी को ताम्र पत्र देकर सम्मानित किया था. सम्मान प्राप्ति के बाद पेंशन मिली, लेकिन अन्य कोई सरकारी सुविधा परिवार को नहीं मिली.