लखीमपुर खीरी:एक ही नारा भाईचारा का नारा देने वाला खीरी जिले के कद्दावर नेता और 5 बार विधायक रहे अरविंद गिरी आज दुनिया से अलविदा हो गए. अरविंद गिरी की मौत से हर कोई स्तब्ध है. बीजेपी के मोहम्मदी क्षेत्र से विधायक लोकेन्द्र प्रताप सिंह कहते हैं, 'सुनकर विश्वास नहीं हो रहा कि गिरी जी हमारे बीच नहीं रहे. सोमवार को ही तो विधायक योगेश वर्मा के पिता के निधन के अंतिम संस्कार में हमारे साथ थे. सब लोग अच्छे से बातचीत कर रहे थे पर अचानक ऐसी दुःखद खबर आई.
सियासी गोटियां बिछाने में थी महारथ
1958 में गोला गोकरनाथ में एक साधारण परिवार में जन्में अरविंद गिरी ने संघर्ष का रास्ता अपनाकर अपना सियासी मुकाम हासिल किया. खेलों के शौकीन अरविंद गिरी को राजनीति के मैदान में भी सियासी गोटियां बिछाने में महारथ हासिल थी. 3 बार समाजवादी पार्टी से विधायक रहते जिला पंचायत पर भी अपने परिवार को काबिज कराने में सफल रहे थे. हालांकि समाजवादी पार्टी से नाता तोड़ने के बाद कांग्रेस-बसपा का दामन थामा, लेकिन उन्हें न कांग्रेस रास आई और न बसपा. 2017 में भाजपा से गोला से फिर टिकट मिल गया तो राजनीतिक वनवास से फिर एक बार सक्रिय राजनीति में गिरीजी आ गए.
बसपा नेता मोहन बाजपेई कहते हैं गिरीजी ने ही एक ही नारा भाई चारा का नारा खीरी में दिया. बाढ़ कटान को लेकर पैदल मार्च जिले भर में निकाला. शरीर से फिट दिखने वाले अरविंद गिरी को हार्ट की बीमारी थी. परिजनों की मानें तो एक बार अरविंद गिरी को इससे पहले भी माइनर अटैक आया था.
गौरतलब है कि सोमवार को ही अरविंद गिरी ने अपने फेसबुक प्रोफाइल पर सीडीओ अनिल कुमार सिंह के साथ गोला को शिव तीर्थ सर्किल से जोड़े जाने और सौंदर्यीकरण को लेकर किए गए निरीक्षण की तस्वीरें शेयर की थीं और सीएम योगी आदित्यनाथ का आभार जताया था.
विवादों से रहा है नाता
अरविंद गिरी का विवादों से भी पुराना नाता रहा है. समाजवादी पार्टी छोड़ने का उनका निर्णय रहा हो या फिर विधायक रहते जिला पंचायत चुनाव के दौरान दुधवा टाइगर रिजर्व के किशनपुर सेंचुरी में वन कर्मियों से विवाद और तोड़फोड़ का एक मुकदमा अरविंद गिरी के लिए फांस बन गया था. एमपी एमएलए कोर्ट में आज भी उस मुकदमे में पेशी लगी थी. गवाहों को तलब किया गया था.
बेटी है कैप्टन
अरविंद गिरी की बेटी एमबीबीएस करने के बाद सेना में लेफ्टिनेंट पद पर तैनात हो गई थी. गौरतलब अब वह मेजर है.