लखीमपुर खीरी: जिले में स्थित घने जंगल, खास मंदिर और यहां की लोक परंपराएं इसे खास पहचान देती हैं. लखीमपुर खीरी जनपद को छोटी काशी के नाम से भी जानते हैं. यहां फूलबेड़ ब्लॉक के मैनहा गांव में शारदा नदी की गोद में एक शिव मंदिर है, जिसे गुप्तीनाथ का शिव मंदिर भी कहते हैं. यह शिव मंदिर पीपल की जड़ की खोह में बना है.
पेड़ की जड़ में बना है मंदिर
जिला मुख्यालय से महज बीस किलोमीटर दूर मैनहा गांव में शारदा के बांध के अंदर गुप्तीनाथ मंदिर एक पीपल के विशाल पेड़ के नीचे बना है. मंदिर छोटा ही है, लेकिन इसकी मान्यता बहुत बड़ी है. मंदिर के पास एक सरोवर भी बना है. बेल के पेड़ों और प्रकृति के गोद में बसे इस मंदिर में साक्षात भगवान शिव बरसते हैं. यह शिवलिंग पीपल के पेड़ की जड़ में बसा है, जिससे इसे सही से देखा भी नहीं जाता.
शारदा नदी के पास है मंदिर. मंदिर के पुजारी शिव प्रसाद गिरी बताते हैं कि मंदिर सैकड़ों साल पुराना है. मान्यता है कि बहुत समय पहले एक चरवाहा इस इलाके में जानवर चरा रहा था. चरवाहे को इस पीपल के पेड़ की जड़ की खोह से कुछ आवाज सुनाई दी. चरवाहे ने किसी जीव का बच्चा समझकर इस खोह में पहले लाठी डाली, फिर हाथ डाल दिया. इसके बाद चरवाहे का हाथ खोह में फंस कर रह गया. चरवाहे ने आवाज लगानी शुरू की, तभी वहां एक साधु प्रकट हुए.
मन्नतें पूरी होने पर बांधते हैं घंटियां. साधु ने चरवाहे की समस्या जानकर भगवन से माफी मांगी और इस स्थान पर मंदिर बनवाने का वचन दिया, इसके बाद चरवाहे का हाथ खोह में से छूटा. तभी से यहां पर मेला लगना शुरू हो गया. करीब 10 साल पहले शारदा नदी कटान आई थी, लेकिन गुप्तीनाथ मंदिर और यहां बसे लोग सुरक्षित बच गए. कटान में मंदिर के आसपास की सैकड़ों एकड़ जमीन जमींदोज हो गई. पानी मंदिर की दहलीज तक आ गया. लेकिन, फिर कुछ ऐसा हुआ कि शारदा का पानी मंदिर से तीन किलोमीटर दूर चला गया.
इसके बाद लोगों ने इस घटना को भगवान शिव के चमत्कार से जोड़कर देखना शुरू कर दिया. पड़ोसी गांव के रहने वाले प्रवीन वर्मा कहते हैं कि इसके बाद से लोगों में इस मंदिर को लेकर आस्था और बढ़ गई. गुप्तीनाथ मंदिर मान्यताएं पूरी होने पर लोग घंटियां चढ़ाते हैं.