लखीमपुर खीरी: कोविड-19 की इस वैश्विक महामारी के बाद भी सम्भावित बाढ़ के दृष्टिगत प्रशासन बाढ़ से निपटने की तैयारी तेज कर दी है. बाढ़ से बचाव के लिए प्रशासन निरंतर सुरक्षा कवच बनाने में जुटा है. बाढ़ राहत परियोजनाओं के शुरू होने से जिले के स्थानीय श्रमिकों को रोजगार भी मुहैया हो रहा है.
कटान निरोधक परियोजनाएं
जिलाधिकारी शैलेन्द्र कुमार सिंह ने बताया कि सरकार गरीब के कल्याण के लिए निरन्तर प्रयन्नशील है. गरीब का कल्याण कैसे हो, उनके दिन कैसे बहुरें, इसके लिए दिन-प्रतिदिन निर्णय लेकर जनता के हितार्थ नई-नई योजनाएं बना रही है. यही नहीं जनपद को सम्भावित बाढ़ से कैसे बचाया जाए इसके लिए जिले में 05 बड़ी कटान निरोधक परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं, जो वर्तमान में प्रगति पर है. इन क्रियाशील पांच कटान निरोधक परियोजनाएं से हजारों की तादात में जिले के श्रमिक प्रतिदिन सोशल डिस्टेन्सिंग के साथ पूरे मनोयोग से कार्य कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि एक पखवारे से इन परियोजना का कार्य चल रहा है. इसमें बड़ी संख्या में स्थानीय मजदूरों को काम दिया गया है. बाढ़ आने से पूर्व कार्य पूरा कर लिया जायेगा. समय से पूर्व राहत कार्य शुरू होने से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों को सुरक्षा मुहैया हो सकेगी.
सर्वाधिक बाढ़ प्रभावित जनपदों में एक
लखीमपुर-खीरी प्रदेश के सर्वाधिक बाढ़ प्रभावित जनपदों में से एक है. जनपद की बाढ़ का प्रमुख कारण नेपाल राष्ट्र के पहाड़ी/अपवाह क्षेत्र में हुई अधिक वर्षा है. नेपाल राष्ट्र से निकलने वाली प्रमुख नदियां शारदा, घाघरा, सुहेली, मोहाना/कौड़ियाला आदि भारतीय सीमा के मैदानी क्षेत्रों में तीव्र वेग से प्रवाहित होती हैं. उक्त नदियों में सिल्ट लोड अधिक होने के कारण मुख्यतः शारदा और घाघरा नदियां मेण्डरिंग करती हुई आगे बढ़ती हैं, जिससे जनपद लखीमपुर-खीरी की तहसीलें पलिया, निघासन, धौरहरा पूर्ण रूप से तथा गोला और लखीमपुर आंशिक रूप से बाढ़ की चपेट में आ जाती हैं.