लखीमपुर खीरी: क्या आप जानते हैं, उत्तर प्रदेश में एक ऐसा भी गांव है, जहां आजादी के बाद से महिलाओं ने वोट ही नहीं डाला. ऐसा नहीं है कि उनका नाम मतदाता सूची में नहीं है. दरअसल, पुरुष प्रधान समाज की दादागिरी की वजह से इन महिलाओं को अब तक वोट डालने नहीं दिया गया था. लेकिन सोमवार को आखिरकार इस गांव की महिलाओं ने सामाजिक बेड़ियां तोड़ीं और पहली बार पंचायत चुनाव में मतदान किया.
आजादी के बाद से महिलाएं नहीं डालती थी वोट
खीरी जिला मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूर सेहरुआ गांव की महिलाओं को घर की दहलीज पार करने की इजाजत नहीं थी. वोट डालने की बात तो बहुत दूर की थी. मोहम्मदी और गोला तहसील की सीमा विवाद में उलझे सेहरुआ गांव में आजादी के बाद से ही महिलाओं को वोट डालने का अधिकार नहीं था. गांव के पुरुष ही वोट डालने मतदान स्थल आते थे. गांव के पुरुषों ने महिलाओं को ये कहकर दूर रखा हुआ था कि महिलाओं का सियासत और चुनाव से क्या लेना देना. इसलिए 1947 से ही गांव की पंची हो या देश की सबसे बडी संसद का चुनाव, महिलाओं को घर की चार दीवारी से निकलकर वोट करने की इजाजत नहीं थी. गांव में परम्परा बन गई कि महिलाओं का चुनाव से दूर रखा जाए.