उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

लखीमपुर खीरी में अब भी जल रही धरती, निकल रहे आग के शोले - लखीमपुर खीरी में जल रही धरती

लखीमपुर खीरी के मोहम्मदी रेंज के जंगल में रहस्यमयी आग की गुत्थी वन विभाग ने सुलझा ली है. वन विभाग ने धरती फटने और आग के शोले निकलने को फॉरेस्ट की अंडर ग्राउंड फायर बताया है.

जमीन के अंदर आग लगने से जली मिट्टी.

By

Published : Jun 16, 2019, 2:34 AM IST

लखीमपुर खीरी: मोहम्मदी रेंज के जंगल में रहस्यमयी आग की गुत्थी वन विभाग ने सुलझा ली है. वन विभाग ने धरती फटने और आग के शोले निकलने को फॉरेस्ट की अंडर ग्राउंड फायर बताया है. आग जंगल में न फैले इसके लिए जेसीबी से प्रभावित इलाके के चारों ओर खाईं खुदवाई जा रही है.

जमीन से आग निकलने की जानकारी देते संवाददाता.

मोहम्मदी रेंज के जंगल में जमीन के अंदर लगी आग

बता दें कि शुक्रवार सुबह से मोहम्मदी रेंज के जंगल में गोमती नदी के तट के पास जंगल में रहस्यमयी आग के शोले उठने लगे थे. आसपास के गांव वालों से यह खबर निकलकर वन विभाग के अफसरों के पास जब तक पहुंची तब तक हजारों की तादात में इस रहस्यमयी आग को देखने लोग पहुंच गए. शुरुआत में वन विभाग को भी इस आग का रहस्य समझ में नहीं आया.

कभी दलदली भूमि थी जंगल की जमीन

ईटीवी भारत की टीम भी ग्राउंड जीरो पर पहुंची और रियलिटी चेक किया. इस दौरान पता चला कि ये जंगल की जमीन कभी दलदली भूमि थी. गोमती नदी के किनारे की ये जमीन गर्मी और पानी की कमी से धीरे धीरे सूख गई है. दलदली जमीन सूखी तो इसमें अंडरग्राउंड गड्ढे बन गए. नीचे ही नीचे कैपलरी बनने से गड्ढों में आर्गेनिक मैटर यानी पत्तियां, फल-फूल जंगल से बहकर पहुंचे. भीषण गर्मी में हल्की बारिश के बाद ये आर्गेनिक मैटर में गैस बनने से रिएक्शन हुआ और आग सुलग गई, जो विशाल रूप ले चुकी थी.

दुधवा के फील्ड डायरेक्टर रमेश कुमार पाण्डेय कहते हैं कि ये स्वैम्प पिट फायर कहलाती है. दलदली भूमि में ऑर्गेनिक मैटर में कभी-कभी आग लग जाती है, जो अंदर ही अंदर सुलगती रहती है. इस भूमि की जमीन क्योंकि जंगल की लकड़ियों और पत्तियों से बनी होती है तो ये जलने जैसी लगती है. ये जंगल की अंडर ग्राउंड फायर कहलाती है.

गोमती नदी के किनारे के कछार में है ये जंगल

इसकी पड़ताल को ईटीवी भारत की टीम भी जंगल के बीचोबीच बड़ी मुश्किल से पहुंची और पड़ताल शुरू की. ये जंगल गोमती नदी के किनारे के कछार हैं. जंगल ऊंचे पर है, जिस वजह से सब कूड़ा करकट इसी कछार में ही जमा होता है. यहां से जमीन के नीचे जंगल का ऑर्गेनिक मैटर इकट्ठा होता रहा, जिससे जमीन में कई बड़े-बड़े होल बन गए. पानी इन्हीं होलों से छन-छनकर गोमती तक पहुंचता है. अनुमान है कि ऐसे में होल पत्तों और तमाम छोटी लकड़ियों और घासों से भर गए होंगे और भीषण गर्मी के चलते इन्हीं में गैस बनने और प्राकृतिक क्रिया से आग लग गई. जमीन के नीचे नीचे ये आग धधकती रही. चूंकि ये मिट्टी भी ऑर्गेनिक पदार्थों से बनी तो आग के बाद ये जल जा रही और धंस भी रही है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details