उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

लखीमपुर हिंसा में मारे गए बीजेपी कार्यकर्ता के परिजनों को अभी भी न्याय का इंतजार.. - लखीमपुर हिंसा में मारे गए बीजेपी कार्यकर्ता

तिकुनिया में हिंसा में मारे गए बीजेपी कार्यकर्ता के पिता ने कृषि कानून वापसी पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की. शुभम मिश्रा के पिता विजय मिश्रा का कहना है कि किसानों के हित में बिल वापसी का निर्णय तो लिया गया है. लेकिन लखीमपुर हिंसा में मारे गए उनके बेटे को अभी भी न्याय का इंतजार है.

लखीमपुर हिंसा मामला
लखीमपुर हिंसा मामला

By

Published : Nov 21, 2021, 7:35 PM IST

लखीमपुर खीरी : तिकुनिया में हिंसा में मारे गए बीजेपी कार्यकर्ता शुभम मिश्रा के पिता ने कृषि कानून वापसी पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की. शुभम मिश्रा के पिता विजय मिश्रा ने कहा किसानों के हित में विचार करते हुए बिल वापसी का निर्णय तो ले लिया गया है. लेकिन लखीमपुर हिंसा में मारे गए उनके बेटे को अभी भी न्याय का इंतजार है.

बीजेपी कार्यकर्ता शुभम मिश्रा के पिता का कहना है कि उनका बेटा पार्टी के काम से गया था, पर उन्हें मलाल है कि किसी भी नेता ने आज तक उनके बेटे की मौत पर एक शब्द नहीं बोला और न ही उनके घर पहुंचे. ऐसे में कार्यकर्ता नेताओं के साथ जाने में घबराएंगे. पीएम मोदी के कृषि कानून वापस लेने पर विजय मिश्रा ने कहा कि किसानों की जीत पर तो हर कोई बोल रहा है, लेकिन उनके निर्दोष बेटे की मौत पर कोई कुछ नहीं बोल रहा है.

लखीमपुर हिंसा में मारे गए बीजेपी कार्यकर्ता के पिता का बयान

शुभम के पिता विजय मिश्रा ने दुखी मन से कहा कि प्रधानमंत्री ने कृषि कानून वापस तो लिए हैं पर यह काम पहले कर देते तो शायद उनका बेटा आज जिंदा होता. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का यह फैसला उन उपद्रवियों के लिए है, जिनसे डर था कि वह आगे भी इस तरह का उपद्रव करेंगे. इससे तिकुनिया जैसी घटना दोबारा न हो इसलिए यह फैसला लिया गया.


उन्होंने कहा कि अभी भी वह अपने बेटे को न्याय दिलाने के लिए जगह-जगह भटक रहे हैं. डीएम के साथ-साथ नेताओं से भी गुहार लगा रहे हैं. फिर भी उनके बेटे को न्याय नहीं मिल रहा है. कहा कि उन्होंने जो तहरीर दी थी उस तहरीर को डीएम ने एफआईआर में शामिल करने की बात कही थी, लेकिन उस पर भी कुछ नहीं हुआ.

तमाम राजनीतिक दलों के लोग खीरी आकर किसानों के घर गए लेकिन उनके घर न प्रियंका गांधी आईं, न अखिलेश यादव और न ही सतीश मिश्रा ही आए. आखिर वो भी तो एक दुखी पिता थे, जिसने अपना बेटा खोया था. कम से कम राजनीतिक दल के नेता एक पिता के दुख को दूर करने के लिए तो आ सकते थे. राजनीति अपनी जगह है और एक पिता का दुख अपनी जगह.

यह भी पढ़ें- पीएम मोदी का केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के साथ मंच साझा करना देश को गलत संदेश देगा : दीपेंद्र हुड्डा

शुभम के पिता ने कहा कि किसानों के घर दूसरे प्रदेशों में वहां के मुख्यमंत्री उनके घर गए. 50-50 लाख रुपए देकर उनकी मदद की. लेकिन बीजेपी के नेता व मुख्यमंत्री बीजेपी कार्यकर्ता के घर भी उनका दुख बांटने नहीं आए. उन्होंने सवाल उठाया कि अगर कार्यकर्ता का मनोबल टूट गया तो फिर नेताओं के साथ गाड़ी में बैठने कौन जाएगा. आखिर उनका बेटा डिप्टी सीएम की अगवानी करने ही तो गया था. उसकी क्या गलती थी, उसे पीट-पीटकर मारा गया था. इस बारे में आज कोई बात नहीं कर रहा है. उन्होंने कहा कि उनको भी न्याय चाहिए. कम से कम सरकार ने जो एक नौकरी देने का वादा किया था वही उनके परिवार को दी जाए. उनको अपने बेटे की हत्या में न्याय का इंतजार अभी भी है.

बता दें, बीते तीन अक्टूबर को जिले की तिकुनिया में हिंसा हुई थी. जिसमें किसानों के साथ बीजेपी कार्यकर्ता व एक पत्रकार की जान चली गई थी. जिसके बाद तमाम नेता परिजनों को सांत्वना देने के साथ अपनी राजनीति चमकाने किसानों के घर तो पहुंचे लेकिन मारे गए बीजेपी कार्यकर्ता के घर नहीं गए. इस दौरान विरोधी दलों ही नहीं खुद बीजेपी के लोग भी उनके घर नहीं पहुंचे.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

ABOUT THE AUTHOR

...view details