लखीमपुर:यूपी के खीरी जिले में एक किसान ने 'वर्टिकल बड' तकनीक से गन्ने की खेती कर किसानों को नई दिशा दी है. दरअसल 'वर्टिकल बड' तकनीक से गन्ने को खड़ा बोया जाता है. इस तकनीकि से एक गन्ने की आंख से लगभग 20 गन्ने निकलते हैं, जो किसानों के लिए मील का पत्थर साबित होती जा रही है. इस तकनीक से फसल में 70 फीसदी तक कम पानी लगता है.
नैचुरल खेती की विधि है वर्टिकल बड
किसान दिल्जिन्दर ने बताया आम तौर पर गन्ना यूं तो जमीन में होरिजेंटल यानि कि बेड़ा बोया जाता है. पर 'वर्टिकल बड' तकनीक में गन्ना कूंड में ऊपर बोया जाता है, वो भी खड़ी गुल्ली के रूप में. इसके पीछे लॉजिक है कि गन्ने की फसल को तेज धूप की आवश्यकता होती है. इसको बढ़ने के लिए हवा, पानी, जमीन और नमी का प्रबंधन बहुत जरूरी है.
'वर्टिकल बड' तकनीक से गन्ने की खेती करने से मिलेगा बेहतर लाभ. चार पांच कुंतल बीज में बोया जाता है एक एकड़ में गन्ना
गुल्ली विधि यानी 'वर्टिकल बड' तकनीक से गन्ना बोने के लिए सिर्फ चार पांच कुंतल बीज ही लगता है, जबकि साधारण रेजर या ट्रेंच से गन्ना बोने में एक एकड़ खेत के लिए 35 से 40 कुंतल गन्ने के बीज की आवश्यकता पड़ती है.
एक एकड़ में लगती है 40 हजार गुल्ली
वर्टिकल बड कॉन्सेप्ट बड़ा ही कैल्कुलेटेड कॉन्सेप्ट है. इस विधि से गन्ना बोने से एक एकड़ में चार हजार 'बड' यानी गन्ने की आंखे खेत में बोई जाती हैं. किसान दिल्जिन्दर कहते हैं कि सूर्य की रोशनी और पानी का मैनेजमेंट गन्ने को और अधिक अच्छी तरह से बढ़ने का मौका देती है. इस विधि से मिलिनयेबल केन अधिक स्वस्थ होते हैं. वजन भी ज्यादा होता है.
पानी की खपत भी है 70 फीसदी से कम
वर्टिकल बड कॉन्सेप्ट से गन्ने की फसल में पानी की मात्रा भी काफी कम लगती है. रो-टू-रो की दूरी अधिक होने से पानी कम से कम लगता है, जबकि सामान्य या ट्रेंच विधि से गन्ना बोने में पानी की खपत ज्यादा होती है.
इंटर क्रॉपिंग के लिए भी बहु उपयोगी है खड़ी गुल्ली तकनीक
'वर्टिकल बड' तकनीक गन्ना बोने में किसान दो लाइनों के बीच में इंटर क्रॉपिंग भी खूब कर सकते हैं. किसान चाहें उसके बीच में सब्जी की बुआई कर लें, चाहे कोई छोटी दलहनी फसल. इससे किसान दोहरा फायदा ले सकते हैं और किसान की आय दोगुनी करने में यह विधि सबसे कारगर साबित हो रही है. 'वर्टिकल बड' तकनीक में गन्ना लाइन से लाइन साढ़े चार से पांच फुट की दूरी पर बोया जाता है.