लखीमपुर खीरीःअब बैंक में आपका पैसा 7 साल में भी दूना नहीं होता लेकिन जिले के रहने वाले एक किसान ने 7 साल में बैंक से चार गुना पैसा अपने खेत में पैदा करने का तरीका खोज निकाला है. ये किसान अपने खेत में बम्बू फार्मिंग यानी बांस की खेती कर रहे है. किसान का मानना है कि बड़े किसानों के लिए ये बैंक में एफडी करने जैसा फार्मूला है.
जिला मुख्यालय से करीब 23 किलोमीटर दूर नीमगांव के पास सकेथू गांव के रहने वाले सुरेश चंद्र वर्मा पढ़े लिखे किसान हैं. बीए एलएलबी किए सुरेश चंद्र वर्मा को खेती- किसानी विरासत में मिली है. 65 साल की उम्र में भी सुरेश का खेती में नए प्रयोग करने का जुनून कम नहीं हुआ है. गन्ने, धान और गेहूं की पारंपरिक खेती से अलग कुछ कर गुजरने की उनकी चाहत ने उनको बागवानी का उस्ताद बना दिया है. सुरेश चंद्र वर्मा आम, आंवला, लीची और नींबू के बागान लगाने के साथ अन्तर्वेती खेती और सहफसली भी खूब करते हैं. गन्ने के साथ उन्होंने बांस की खेती का नया प्रयोग शुरू किया है. अब उनका बांस खेत में लहलहा रहा है.
गन्ने में शुरू की बांस की खेती
सुरेश चंद्र वर्मा बताते हैं कि उन्होंने गन्ने के खेत में बांस की खेती शुरू की थी. करीब डेढ़ एकड़ खेत में उन्होंने बांस लगाने की शुरुआत की. तीन सालों तक गन्ने की खेती भी बांस की पौध के साथ-साथ होती रही. लेकिन चौथे साल से सिर्फ बांस ही खेत में रह गया. सुरेश चंद वर्मा बताते हैं कि अभी वह बांस में अंतर्वर्ती खेती के अन्य विकल्पों पर भी विचार कर रहे हैं. बांस बड़ा हो जाने के बाद इसमें हल्दी,अदरक आज की खेती भी हो सकती है.
ये है बांस की खेती का गणित
किसान सुरेश चंद्र वर्मा कहते हैं कि दो से साल तक गन्ने के साथ बांस की खेती हो सकती है. तीन साल बाद बांस की छाया में होने वाली फसलें ली जा सकती हैं, जैसे अदरक और हल्दी आदि. उन्होंने बताया कि डेढ़ एकड़ खेत में बांस लगाया है. उन्होंने बताया कि बांस सात से आठ साल में तैयार होने वाली फसल है. वर्मा बताते हैं कि अगर आपके पास ज्यादा खेती है तो बांस की खेती आपको अच्छा रिटर्न देने की गारंटीड स्कीम है. वर्मा ने बताया कि उन्होंने पंतनगर एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी से 25 रुपये का एक पौधा लाकर एक एकड़ बीस डिसिमिल में 234 पौधे लगाया है. उन्होंने बताया कि चार साल में एक पौधे में बीस से 22 बांस तैयार हो चुके हैं. अभी तेजी से इन बाँसों में टिलरिंग हो रही है. उम्मीद है एक एक बांस के पौधे में 40 से 50 बांस हो जाएँगे. सुरेश चंद्र शर्मा ने बताया कि एक बांस 150 रुपये में गांव में ही बिक जाता है. इस तरह अगर 234 पौधों में अगर 50-50 बांस निकल आए तो 11700 बांस हो जाएंगे. अगर 150 रुपये प्रति बांस रेट मिल जाए तो 17.55 लाख हो जाता है. अब रेट कुछ ज्यादा मिल गया तो इससे बढ़ भी सकता है. कम हो जाए तो 100 से कम बिकेगा नहीं, तो हो गई न बैंक की एफडी से बढ़िया रिटर्न.