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उत्तराखंड के चमोली जल प्रलय में लापता 30 मजदूरों के परिजनों की हुई DNA सैम्पलिंग - lakhimpur kheri latest news

उत्तराखंड के चमोली जिले के तपोवन में 7 फरवरी को आए जल प्रलय में खीरी जिले के लापता 33 लोगों के परिजनों के डीएनए सैंपल लिए गए. जिला प्रशासन ने उत्तराखंड में मिल रहे अज्ञात शवों और मानव अंगों के अवशेषों से मिलान कराने के लिए खीरी जिले के इंडो नेपाल बॉर्डर के इच्छानगर, भैरमपुर, बाबापुरवा समेत आधा दर्जन गांव में शनिवार को सैंपलिंग का काम शुरू किया है.

परिजनों का डीएनए
परिजनों का डीएनए

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Published : Feb 20, 2021, 10:48 PM IST

लखीमपुर खीरी : उत्तराखंड के चमोली जिले के तपोवन में 7 फरवरी को आए जल प्रलय में खीरी जिले के लापता 33 लोगों के परिजनों के डीएनए सैंपल लिए गए हैं. जिला प्रशासन ने उत्तराखंड में मिल रहे अज्ञात शवों और मानव अंगों के अवशेषों से मिलान कराने के लिए खीरी जिले के इंडो नेपाल बॉर्डर के इच्छानगर, भैरमपुर, बाबापुरवा समेत आधा दर्जन गांव में शनिवार को सैंपलिंग का काम शुरू किया. एसडीएम निघासन ओपी गुप्ता ने बताया कि सैम्पल इकट्ठे कर उत्तराखण्ड सरकार को भेजे जाएंगे, जहां मिल रहे अज्ञात शवों और मानव अंगों से इनका मिलान करवाया जाएगा.


उत्तराखंड में 7 फरवरी को आई आपदा में खीरी जिले के 33 मजदूर लापता हो गए थे. ये मजदूर तपोवन में बन रहे डैम और एनटीपीसी प्रोजेक्ट में काम कर रहे थे. इन मजदूरों में से तीन के शव तो मिल चुके थे, पर बाकी का अभी तक कोई अता पता नहीं चल पाया है. उत्तराखंड में चमोली जिले का प्रशासन और एनडीआरएफ की टीम शवों की तलाश में अभी भी टनल की खुदाई कर रही है. इस दौरान वहां मिल रहे शवों की पहचान के लिए खीरी जिले में रह रहे लापता परिजनों के खून के सैंपल लिए गए. उनका डीएनए एकत्र कर उत्तराखंड भेजा जाएगा, जिससे वहां पर मिल रहे अज्ञात शवों से मिलान कर पहचान हो सके.

एसडीएम के साथ पहुंची डॉक्टरों की टीम

चमोली हादसे में लापता हुए 33 लोगों के परिजनों की डीएनए सैंपलिंग के लिए शनिवार को एसडीएम निघासन ओपी गुप्ता के साथ खीरी जिला अस्पताल के डॉक्टर के पी सिंह कुशवाहा, निघासन सीएचसी में तैनात डॉ. शशि प्रभा, डॉक्टर अनिल मिश्रा अपनी पैथोलॉजिस्ट की टीम के साथ लापता मजदूरों के परिजनों के सैम्पल लेने पहुंचे. टीम ने 33 लापता मजदूरों के परिजनों के सैम्पल लिए.

इन गांवों के हैं लापता मजदूर

लखीमपुर खीरी जिले में इंडो नेपाल बॉर्डर पर निघासन तहसील के करीब आधा दर्जन गांवों से मजदूर अपने और परिवार का पेट पालने को उत्तराखण्ड में बन रहे डैम में काम करने गए थे. हर वक्त मौत के खतरे के बीच इन मजदूरों को एक झटके में जलप्रलय ने अपने तेज बहाव में बहा लिया. जो जहां था वहां से हिल भी न सका. निघासन तहसील के बाबूपुरवा, कड़िया, तिकोनियां, मिर्जागंज, भैरमपुर, भेडोरी, इच्छानगर आदि गांवों के 33 मजदूर लापता हो गए पर खोज अभियान में तीन मजदूरों के शव मिल चुके हैं. 30 अभी भी लापता हैं. प्रशासन ने सभी 33 मजदूरों के परिजनों की डीएनए सैम्पलिंग कराकर उत्तराखण्ड भेजने की तैयारी की है.

अब तक इनके मिले हैं शव

चमोली के तपोवन में जलप्रलय में डैम के साथ न जाने कितनी जिंदगियां उतराती चली गईं. इनमें खीरी जिले के सबसे ज्यादा मजदूर थे. इंडो-नेपाल बॉर्डर पर बसे इन गांवों के लोग पेट की आग बुझाने को अपना घर छोड़ पहाड़ों पर पैसा कमाने गए थे. परिजन भी बेटों के पैसों से जैसे-तैसे गुजारा करते थे, पर 7 फरवरी को नदी ने जो कहानी लिखी उसकी तस्वीरें देख आज भी बेटों की जिंदगी की आस लगाए मांताएं रोने लगती हैं. बाबूपुरवा गांव के सूरज और विमलेश की लाशें तो मिल गईं. इच्छानगर के अवधेश का शव भी गांव पहुंच चुका है, पर अभी भी 30 परिवार अपनों की राह तक रहे.

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