लखीमपुर खीरी: पंचायत चुनाव की डुगडुगी बज गई है. प्रधान अगली बार के लिए आरक्षण का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं और चुनावी तैयारियों के लिए ताल ठोक रहे हैं. ईटीवी भारत ने गांव के गलियारों में विकास की हकीकत की ग्राउंड रिपोर्टिंग की और शहर मुख्यालय से सटे बेहजम ब्लाक के लखनापुर गांव के मजरा अंदापुर में ग्राउंड जीरो पर जाकर विकास की हकीकत जानी.
लखीमपुर खीरी के कुछ गांवों में बही विकास की हवा, कहीं मूलभूत सुविधाओं की दरकार - लखीमपुर खीरी पंचायत चुनाव समाचार
उत्तर प्रदेश में कुछ ही महीने बाद त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव होने जा रहे हैं. गांव की सरकारों ने क्या कुछ किया, इसका मूल्यांकन इन दिनों ग्रामीण कर रहे हैं. गांवों में सरकारी योजनाओं ने कहीं-कहीं पर तो खूब उड़ान भरी, लेकिन कुछ गांवों में वही योजनाएं धरातल पर फुस्स हो गईं. इसी पर आधारित है लखीमपुर खीरी की ये रिपोर्ट...
नहीं मिला पक्का मकान
लखनापुर गांव के मजरा अंदापुर में सड़क पर बह रही कच्ची नालियां गांव में विकास की तस्वीर को खुद-ब-खुद बयां कर रही हैं. यहां खड़ंजा लगा है पर नालियां कच्ची हैं. यहां पर लगे सरकारी हैंडपंप में न तो नल का ऊपरी हिस्सा है और न ही हत्था है. गांव में लगे 10 में से आधे नल खराब पड़े हुए हैं. लखनापुर गांव में करीब 10 हजार की आबादी है. यहां पर 2400 के करीब वोटर हैं. लखनापुर के अलावा यहां गुलचौरा, अंदापुर, इंदिरानगर, मनिकापुर आदि पांच अलग-अलग मजरे हैं. विकास की बयार इस गांव को छूकर तो निकली है पर अभी भी बहुतों के सिर पर पक्के मकान का साया मयस्सर नहीं है. कुछ लोगों का कहना है कि उनको सरकार की तरफ से दिया जा रहा शौचालय मिला है और प्रधानमंत्री सम्मान निधि के भी 2000 रुपये मिल रहे हैं, लेकिन अभी पक्की छत नहीं मिल सकी है.
उज्ज्वला गैस योजना का मिल रहा लाभ
ग्रामीण भारत की तस्वीर आज भी महानगरों की लकदक जिंदगी से कोसों दूर है. अंदापुर गांव में आज भी कई लोगों के घर पर फूस का छप्पर छाया हुआ है. मोदी सरकार की उज्ज्वला गैस योजना का लाभ यहां के लोगों को मिला है, लेकिन नापदान गांव के खड़ंजों पर नालियों का पानी बहकर उसे तालाब की शक्ल दे रहा है.