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मां ने बकरियां बेचकर भरी थी फीस, आज बेटा बन गया जज

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर जिले के मूसेपुर गांव निवासी असगर अली का पीसीएस-जे में चयन हो गया है. उनकी इस सफलता से उनके परिजन काफी खुश हैं. असगर अली की मां घर में पली बकरियां बेचकर उनकी फीस जमा करती थीं.

असगर अली ने पीसीएस-जे में की सफलता हासिल.

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Published : Jul 22, 2019, 5:42 PM IST

लखीमपुर: कहते हैं कि खुदी को कर बुलंद इतना कि खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है... यह लाइन लखीमपुर खीरी जिले के बेहद गरीब परिवार में जन्मे असगर अली पर सटीक बैठती है. असगर अली के परिवार की आर्थिक हालत अच्छी नहीं है. उनकी मां बकरे बेचकर उनकी पढ़ाई की फीस अदा करती थीं. वहीं असगर अली के जज बनने पर उनके परिजन बहुत खुश हैं.

असगर अली ने पीसीएस-जे में की सफलता हासिल.


यूपी पीसीएस-जे 2018 परीक्षा का परिणाम घोषित कर दिया गया है. जिले के मूसेपुर गांव के रहने वाले 27 वर्षीय असगर अली का पीसीएस-जे में चयन हुआ है. असगर के घर की आर्थिक हालत अच्छी नहीं है. असगर पांच भाई और चार बहन हैं. असगर के परिवार में जमीन जायदाद के नाम पर गांव में बस दो कमरों का छोटा सा मकान और कुछ बकरियां हैं. अब्बू शाकिर अली टेलरिंग के अच्छे कारीगर थे. परिवार चलाने के लिए वह दो बेटों के साथ राजस्थान चले गए और वहां टेलरिंग का काम करने लगे.


असगर की फीस अदा करने और गृहस्थी चलाने के लिए मां मैसरजहां ने कशीदाकारी शुरू कर दी. मां चिकेन की कशीदाकारी से कुछ रुपये इकट्ठा कर बेटे की फीस अदा कर देती थी. जब एडमिशन या कोई बड़ा खर्चा आ जाता था तो घर में पली बकरियों में से एक को बेचकर फीस अदा करती थीं.


असगर अली ने हाई स्कूल पूर्व विधायक कौशल किशोर के स्कूल सेठ सधारी लाल से पास हुए. बीए करने बीएचयू चले गए. वहीं से एलएलबी, एलएलएम पास किया. असगर ने जेआरएफ भी पास किया. वर्तमान में असगर बीएचयू में ही पीएचडी कर रहे हैं. असगर की इस सफलता के बाद मां मैसरजहां को मुबारकबाद देने वालों का तांता लगा हुआ है.

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